scriptपरोपकार से मानव के व्यक्तित्व का विकास: आचार्य देवेन्द्रसागर | Development of human personality through philanthropy: Acharya | Patrika News

परोपकार से मानव के व्यक्तित्व का विकास: आचार्य देवेन्द्रसागर

locationबैंगलोरPublished: Jan 18, 2020 09:49:43 pm

आचार्य देवेंद्रसागर ने सुशील धाम में कहा कि परहित सरिस धरम नहिं भाई पर पीड़ा सम नहिं अधमाई। परोपकार से बढ़कर कोई उत्तम कर्म नहीं और दूसरों को कष्ट देने से बढ़कर कोई नीच कर्म नहीं।

परोपकार से मानव के व्यक्तित्व का विकास: आचार्य देवेन्द्रसागर

परोपकार से मानव के व्यक्तित्व का विकास: आचार्य देवेन्द्रसागर

बेंगलूरु. आचार्य देवेंद्रसागर ने सुशील धाम में कहा कि परहित सरिस धरम नहिं भाई पर पीड़ा सम नहिं अधमाई। परोपकार से बढ़कर कोई उत्तम कर्म नहीं और दूसरों को कष्ट देने से बढ़कर कोई नीच कर्म नहीं। परोपकार की भावना ही वास्तव में मनुष्य को ‘मनुष्यÓ बनाती है। कभी किसी भूखे व्यक्ति को खाना खिलाते समय चेहरे पर व्याप्त सन्तुष्टि के भाव से जिस असीम आनन्द की प्राप्ति होती है, वह अवर्णनीय है।
विवेकशील मनुष्य जाति सिर्फ अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति तक सीमित नहीं रहती

परोपकार से मानव के व्यक्तित्व का विकास होता है। सभी प्रजातियों में सर्वश्रेष्ठ प्रजाति मनुष्य है, क्योंकि विवेकशील मनुष्य जाति सिर्फ अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति तक सीमित नहीं रहती, अन्य लोगों की आवश्यकताओं की भी उतनी ही चिन्ता करती है, जितनी स्वयं की। मनुष्य की यही भावना उसे भ्रातृत्व की भावना से जोड़ती है। विश्व बन्धुत्व की भावना का विकास ही अन्तत: विश्व शान्ति एवं प्रेम की स्थापना को सम्भव कर सकता है ।
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