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धम्म जागरण में भजनों पर झूमे भक्त

locationबैंगलोरPublished: Sep 25, 2018 04:35:10 am

भिक्षु धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में आचार्य भिक्षु के 216वें चरमोत्सव के उपलक्ष्य में भिक्षुधाम प्रांगण में धम्म जागरण का आयोजन किया गया।

धम्म जागरण में भजनों पर झूमे भक्त

धम्म जागरण में भजनों पर झूमे भक्त

बेंगलूरु. भिक्षु धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में आचार्य भिक्षु के 216वें चरमोत्सव के उपलक्ष्य में भिक्षुधाम प्रांगण में धम्म जागरण का आयोजन किया गया। प्रारंभ में ज्ञानशाला के बालक बालिकाओं ने मंगलाचरण किया।

इसके बाद ट्रस्ट के अध्यक्ष धर्मीचंद धोका ने स्वागत किया। गायिका मीनाक्षी नुगेडिय़ा ने आचार्य भिक्षु के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति देते हुए कई भजनों सिरीयारी से संत म्हाने प्यारो लागे….की प्रस्तुति पर श्रद्धालु भाव विभोर होकर झूम उठे। इसके बाद भीलवाड़ा के ऋषि दुगड़ ने भिक्षु को समर्पित कई भजनों के माध्यम से समरण किया। गायकों ने आओ आओ भिक्षु…., कल्पतरु रा बीज फलया… आदि एक के बाद एक गीतों से जनसमूह को मंत्रमुग्ध किया।


संयोजक नवरतन गादिया, सहसंयोजक इंदरचंद गादिया, प्रदीप संकलेचा, मुकेश कोठारी, विक्रम सेठिया, गौतम डोसी के प्रयासों से कार्यक्रम का सफल आयेाजन हुआ। मुख्य अतिथि तेरापंथी महासभा के पूर्व अध्यक्ष हीरालाल मालू, आचार्य महाश्रमण चातुर्मासिक प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष मूलचंद नाहर, का सम्मान नरेंद्र रायसोनी, किशोर गादिया जसवंतराज गादिया, सुगनचंद चौपड़ा, पूनमचंद संचेती ने किया। इस दौरान संगीत सुधा रवि नाहटा ने भी भजन प्रस्तुत किए।

हीरालाल मालू ने भिक्षु धाम के कार्यों की सराहना की। संचालन सोनल पीपाड़ा व शांति सकलेचा ने किया। मुख्य प्रायोजक रोशनलाल दिनेश कुमार पोखरणा का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर उगमराज रायसोनी, प्रकाश कोठारी, अशोक नाहर, अशोक श्रीश्रीमाल, नरेश बरडिय़ा, अनिल डुंगरवाल सहित अनेक गणमान्य मौजूद रहे।

उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म त्रिलोक पूज्य
बेंगलूरु. आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जयनगर में आचार्य कुमुद नंदी एवं मुनि अर्पण सागर के सान्निध्य में दसलक्षण आराधना अनंत नवमी आरधना तथा बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी के मोक्ष कल्याणक निर्वाण लाडू चढ़ाकर अनंत चतुर्दशी मनाई गई। इस अवसर पर आचार्य ने कहा कि उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म त्रिलोक पूज्य है। असिधारा व्रत के नाम से भी जाना जाता है। जो इसको धारण करता है वह भी त्रिलोक पूज्य हो जाता है।

वर्तमान जैन तीर्थंकर चौबीसी में पांच बालमति तीर्थंकर बाह्यपूज्य स्वामी मल्लिनाथ स्वामी, नेमिनाथ स्वामी पाश्र्वनाथ स्वामी भी वर्धमान स्वामी हुए, जिन्होंने कुमार काल में ही इस धर्म को धारण किया। जिसमें वासुपूज्य स्वामी तो उत्तम ब्रह्मचर्य के दिन अनंत चतुर्दशी को मोक्ष मंदारिगिरि पर्वत चंपापुर विहार गए। त्रिलोक पूज्य हो गए और भी महापुरुष जम्मूस्वामी सुदर्शन सेठ निर्वाण को प्राप्त हुए।

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