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कामना छूटने पर मिलेगा भक्ति रस

locationबैंगलोरPublished: Dec 15, 2018 05:58:54 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

परमात्म के प्रति अनुराग ही सच्ची भक्ति है।

jaini

कामना छूटने पर मिलेगा भक्ति रस

बेंगलूरु. यशवंतपुर स्थित एक अपार्टमेंट में आचार्य पुष्पदंत सागर ने प्रवचन में कहा कि देह का राज समझ में आए तो परमात्म श्रद्धा जीवंत हो सकती है।

उन्होंने कहा कि देहवादी और तनरागी कितनी भी भक्ति, पूजा अर्चना करे मगर परमात्मा के प्रति अनुराग पैदा नहीं हो सकता।
परमात्म के प्रति अनुराग ही सच्ची भक्ति है। देहरागी काम यात्रा तो कर सकता है मगर आत्म यात्रा नहीं। भक्ति रस में वही लीन रहता है जिसकी समस्त कामनाएं छूट गई है।

परमात्म सागर में मछली के समान विचरण करने लगा है। प्रेम के जलाशय में परमात्मा के नामसरोवर में मन मछली की भांति विचरण करने लगता है।
सफलता और सम्मान पर विजय पाने वाला ही आत्मा पर विजय पाता है। किसी से ईष्र्या करने की बनिस्पत अपनी दुर्बुद्धि पर विजय प्राप्त करें। उदारता का अभाव ही उदण्डता का लोभवृत्ति का कारण है।
उदारता से ही उदासीनता दूर होती है। यदि मोक्ष मार्ग बनाना चाहते हो तो धन का संग्रह ही नहीं, धन के सद्पयोग की भावना रखें।

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