धर्म न तो स्वर्ग पाने के लिए हो, न ही नर्क से बचने के लिए। धर्म जीवन को बदलने के लिए हो। कुछ लोग धर्म में भी धंधा करने की सोच रखते हैं। उत्तम पुरुष वह होते हैं जो धंधे में भी धर्म का विवेक रखते हैं। केवल यज्ञ, हवन, पूजा , पाठ और सामायिक ही धर्म के चरण न हों अपितु अपने जीवन को इस तरह जियें कि चलना-फिरना,उठना -बैठना,खाना -पीना, धंधा- व्यवसाय भी धर्ममय हो जाए।
डॉ विनोद दरला के साथ चर्चा में कहा कि आज सच्चा धर्म निभाने के लिए इंसानियत के लिए कोई भी अगर कोरोना पॉजिटिव है तो आप उसे धर्म जाप कराकर सहायता देकर मदद कीजिए। सकरात्मक सोच को बढ़ाकर अपनी इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाएं।