जो धारण किया जाए वह धर्म-आचार्य महेन्द्रसागर
बैंगलोरPublished: Nov 23, 2021 08:58:13 am
धर्मसभा का आयोजन
जो धारण किया जाए वह धर्म-आचार्य महेन्द्रसागर
बेंगलूरु. महावीर स्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ त्यागराजनगर में सोमवार को स्नेह प्रतीक प्रवचन का आयोजन हुआ। आचार्य महेन्द्रसागर सूरी ने प्रवचन में कहा कि जो धारण किया जाए वह धर्म अथवा दुर्गति में गिरती हुई आत्मा को जो धारण करके रखता है। वह धर्म है, ऐसे नियम ऐसे सद्गुण, ऐसे सत्कर्म, ऐसा आचरण जो दुर्गति यानी दु:ख में पड़ते हुए को बचाए और सुख की ओर ले जा सके, वह धर्म है। अंग्रेजी में धर्म को रिलीजन कहते हंै। यानी आत्मा को सद्विचारों में बांधना उसे अनुबन्ध भी कहते हैं। आत्मा सद्विचारों से बंध जाती है। वहां गलत होना संभव नहीं। समस्त सुखों का मूल धर्म है। धर्म आचरण की वस्तु है, वह आडंबर और विज्ञापन की चीज नहीं धर्म मानव जीवन के इस लोक और परलोक के हित के लिए है। सुख के लिए और कल्याण के लिए है। जीवन को समर्थ बनाने के लिए है और यहां जो धर्म पालन किया जाता है। वह परलोक में भी अनुगामी बनता है। धर्म सभी के लिए है उसका उपयोग सभी कर सकते हंैं। वह किसी व्यक्ति विशेष सम्प्रदाय, समाज देश विशेष के ठेके में बंधा नहीं है। धर्म का द्वार सभी के लिए खुला होता है। साध्वी रिद्धिमा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर मांगीलाल सिरोया, प्रकाश बम्ब, गौतम धारीवाल कान्तिलाल मेहता व गौतम श्रीश्रीमाल उपस्थित रहे।