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जो दूसरों के काम आए वही इंसान

locationबैंगलोरPublished: Sep 25, 2018 10:58:16 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

अहिंसा के बिना किसी भी धर्म की कल्पना नहीं की जा सकती

jain dharm

जो दूसरों के काम आए वही इंसान

गोडवाड़ भवन में उपाध्याय रविंद्र मुनि के सान्निध्य में रमणीक मुनि के प्रवचन
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के तत्वावधान में गोडवाड़ भवन में उपाध्याय प्रवर रविंद्र मुनि के सान्निध्य में रमणीक मुनि ने ‘किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते हैं…’ गीतिका के माध्यम से कहा कि व्यक्ति को स्वार्थ से परमार्थ, नफरत से मोहब्बत की और बढऩा चाहिए। धर्म का संपूर्ण सार इसी में है कि व्यक्ति व्यक्ति के काम आए। मुनि ने कहा कि संतो के चरणों से जुडऩा चाहिए, क्योंकि संत अरिहंतो के चरणों से जुड़े हुए होते हैं। अरिहंत और मनुष्य के बीच का सेतु संत ही है। संत अपने संतत्व के आधार पर अपने समीप आने वाले साधक को स्वयं के माध्यम से व्यक्ति को परमात्मा से जोड़ सकता है। आध्यात्मिक यात्रा का प्रारंभ भी अहिंसा से होता है। मुनि ने कहा कि अहिंसा के बिना किसी भी धर्म की कल्पना नहीं की जा सकती है। जहां अहिंसा है वहां सत्य भी रहेगा, जहां सत्य है वहां अचोर्य रहेगा, जहां अचोर्य है वहां ब्रह्मचर्य भी रहेगा और जहां ब्रह्मचर्य है वहां अपरिग्रह भी रहेगा। पांच अणुव्रतों व पांच महाव्रतों की यही संयोजना एक दूसरे से जुड़ी हुई है। मनुष्य एक ऊर्जा यानी शक्ति का भंडार है। ऊर्जा अपने आप में न अच्छी है न बुरी है। इस ऊर्जा रूप शक्ति सामथ्र्य का व्यक्ति किस रूप में उपयोग करता है यह उसी पर निर्भर है यानी व्यक्ति अपनी शक्ति का सदुपयोग भी कर सकता है और दुरुपयोग भी कर सकता है। अरिहंतो ने हमें सारी विशेषताएं दी है जिससे कि हम यहां पर इस संसार में अद्भुत रहकर जी सकते हैं। चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने बताया कि प्रारंभ में रविंद्र मुनि ने मंगलाचरण किया व रमणीक मुनि ने औंकार का सामूहिक उच्चारण करा जैन धर्म के चारों सम्प्रदायों की जय करवाई। ऋषि मुनि ने गीतिका सुनाई। पारस मुनि ने मांगलिक प्रदान की। संचालन सहमंत्री सुरेश मूथा ने किया।

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