आत्म विकास के लिए स्वाध्याय उत्तम साधन
तेरापंथ भवन, गांधीनगर में धर्मसभा
आत्म विकास के लिए स्वाध्याय उत्तम साधन
बेंगलूरु. तेरापंथ सभा के तत्वावधान में तेरापंथ भवन, गांधीनगर में साध्वी कंचनप्रभा, साध्वी मंजूरेखा के सान्निध्य में स्वाध्याय दिवस पर धर्मसभा आयोजित की गई। सभा में साध्वी कंचनप्रभा ने कहा कि मैं कौन हूं, कहां से आया हूं एवं मुझे कहां जाना है? ये प्रश्न आत्मा की अमरता में आस्था रखने वाले व्यक्ति के मन में उठते हैं तथा यहीं से आत्म विकास की यात्रा प्रारम्भ होती है। इसके लिए स्वाध्याय ही उत्तम साधन है। भगवान महावीर ने कहा कि स्वाध्याय से कर्म निर्जरा होती है।
साध्वी मंजूरेखा ने कहा कि इन्द्रिय जगत में जीने वाला धन, परिवार, और शारीरिक सम्बन्धों की सुरक्षा में खोया रहता है। जहां स्वाध्याय के प्रति अनुराग के साथ लक्ष्य रहता है वहां चेतना के ऊध्र्वारोहण का पथ प्रशस्त होता है। साध्वी निर्भयप्रभा ने स्वाध्याय की महत्ता पर प्रकाश डाला। समणीवृन्द एवं साध्वीवृन्द ने सुमधुर प्रेरक गीत का संगान किया। स्वागत महिला मंडल अध्यक्ष अनिता गांधी ने किया। माणकचंद संचेती ने श्रावक निष्ठा का वाचन किया। संचालन मंत्री प्रकाशचंद लोढ़ा ने किया।
पौषध जीवन निर्दोष, निश्चिंत व निर्मल
बेंगलूरु. सीमंधर शांतिसूरी जैन ट्रस्ट, वीवीपुरम के तत्वावधान में आचार्य चंद्रभूषण ने कहा कि संसार में रहकर भी जो साधु जैसा जीवन जी सके वह पौषध जीवन है। उन्होंने कहा कि पौषध जीवन देशविरतिमय है एवं साधु जीवन सर्वविरतिमय है। समस्त पाप व व्यापारों का त्याग दीक्षा जीवन है। आंशिक पाप व व्यापारों का त्याग पौषध जीवन है। आत्मा को पुष्ठ करे वही पौषध कहा जाता है। किसी प्रकार के पाप का आचरण न करना पड़े, इसलिए पौषध जीवन निर्दोष जीवन है।
जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास करें
चामराजनगर. राजस्थान जैन संघ के तत्वावधान में स्वाध्याय अंजना बोहरा ने कहा कि साधना तप-जप के साथ करके जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व का मूल उद्देश्य आत्मा को शुद्ध करके आवश्यक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना है। स्वाध्यायी रूपा विनायकिया ने गीतिका प्रस्तुत कर कहा कि पर्युषण में आठ कर्मों को तोड़कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। स्वाध्यायी लक्ष्मीबाई वेदमुथा व वीवा पूनामिया ने अंतगड़ दशासूत्र का वाचन किया। दोपहर में धार्मिक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।
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