बैंगलोर

शहर में एचबीए1सी के लिए जांचे गए 45 नमूनों में मधुमेह की पुष्टि

– कर्नाटक : 35 फीसदी नमूने प्री-डायबिटिक

बैंगलोरNov 16, 2021 / 10:49 am

Nikhil Kumar

diabetes

बेंगलूरु. एचबीए1सी (ग्लाइसेटेड हीमोग्लोबिन – glycated haemoglobin) से पिछले दो से तीन महीनों में मरीज के रक्त में शुगर का औसतन स्तर पता चलता है। इस जांच की मदद से यह भी पता लगाया जा सकता है कि मधुमेह (Diabetes) को नियंत्रित करने के लिए दी जा रही दवाएं ठीक से काम कर पा रही हैं या नहीं। एचबीए1सी जांच का रिजल्ट प्रतिशत के रूप में दिखाया जाता है। यदि एचबीए1सी का स्तर 5.7 प्रतिशत से कम है तो मधुमेह नहीं है। 5.7 से 6.4 प्रतिशत होना प्री-डायबिटिज का संकेत है। 6.5 प्रतिशत से ज्यादा का मतलब संबंधित व्यक्ति को मधुमेह है।

हैरत की बात तो यह है कि शहर में एचबीए1सी के लिए जांचे गए 1.77 लाख से ज्यादा नमूनों में से 45 फीसदी नमूनों में मधुमेह की पुष्टि हुई जबकि 35 फीसदी नमूने प्री-डायबिटिक निकले। 49 फीसदी पुरुष व 39 फीसदी महिलाओं को मधुमेह की शिकायत थी जबकि 34 फीसदी पुरुष और 37 फीसदी महिलाएं प्री-डायबिटिक निकलीं। 61- 85 आयु वर्ग के 65 फीसदी लोग मधुमेह के मरीज निकले। इसी आयु वर्ग के 30 फीसदी लोगों के प्री-डायबिटिक होने की बात सामने आई।

एसआरएल डायग्नोस्टिक में लैब सेवा की प्रमुख डॉ. आशा प्रभाकर ने बताया कि सभी नमूने जनवरी 2017 से सितंबर 2021 के बीच जांचे गए। दुनिया में मधुमेह से पीडि़त छह लोगों में से एक भारत से है। वर्ष 2019 तक भारत में 20-79 आयु वर्ग के करीब 77 मिलियन मरीज थे। मधुमेह के मरीजों की संख्या के मामले में भारत देश में दूसरे स्थान पर था। प्रारंभिक निदान, व्यापक जागरूकता और आने वाली पीढिय़ों को स्वस्थ रखने के लिए जीवनशैली में हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

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