प्रदेश कोविड-19 तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. गिरिधर आर. बाबू के अनुसार सिंपटोमेटिक पॉजिटिविटी दर जिला निगरानी प्रणाली की सक्रियता दर्शाता है। उच्च सिंपटोमेटिक पॉजिटिविटी दर का मतलब है कि प्रभावित जिलों में टेस्टिंग ज्यादा प्रभावी है। कोविड के लक्षण वाले लोगों की पहचान के प्रति दृष्टिकोण कारगर साबित हो रही है। सिंपटोमेटिक पॉजिटिविटी दर कम होने का मतलब है, संबंधित जिलों में सिंपटोमेटिक मामलों का नहीं मिलना।
डॉ. गिरिधर ने कहा कि ज्यादा असिंपटोमेटिक पॉजिटिविटी दर वाले जिलों में सिंपटोमेटिक मरीजों के होने की संभावना ज्यादा है। संभव है कि स्वास्थ्य विभाग ऐसे मरीजों की पहचान में चूक रहा हो।
प्रदेश कोविड-19 तकनीकी सलाहकार समिति के ही सदस्य डॉ. सी. एन. मंजुनाथ के अनुसार सिंपटोमेटिक टेस्टिंग संख्या कम होने के बावजूद अगर पॉजिटिविटी दर में ज्यादा अंतर है तब सांख्यिकीय त्रुटि हो सकती है। मामले की समीक्षा होनी चाहिए।
कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार असिंपटोमेटिक और सिंपटोमेटिक पॉजिटिविटी दर में अंतर का कारण हो सकता है कि सिंपटोमेटिक लोगों की तुलना में असिंपटोमेटिक लोगों की जांच ज्यादा हो रही है। कई जिलों में टेस्टिंग रणनीति बदलने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन सुनिश्चित करे कि ज्यादा से ज्यादा सिंपटोमेटिक लोग जांचे जाएं। इससे प्रसार को एक बिंदु पर रोकने में मदद मिलेगी।