स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा निदेशालय में शिक्षा, संचार व सूचना विभाग की संयुक्त निदेशक डॉ. हेमलता एमसी ने बताया कि डिप्थीरिया से निपटने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग बुधवार से 31 दिसंबर तक टेटनस डिप्थीरिया (टीडी) और डीपीटी (डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी से सुरक्षा ) टीकाकरण अभियान चलाएगा।
कलबुर्गी, रायचूर, यादगीर, बीदर, विजयपुरा, बागलकोट, कोप्पल, बल्लारी और चित्रदुर्गा में डिप्थीरिया का खतरा सर्वाधिक है। इन जिलों को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की श्रेणी में रखा गया है। इन क्षेत्रों में कक्षा एक से कक्षा 10 तक के बच्चों का टीकाकरण होगा। कक्षा एक के बच्चों को डीपीटी का टीका लगाया जाएगा जबकि कक्षा दो से कक्षा दस तक के बच्चों को टीडी का टीका लगाया जाएगा।
वहीं, बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी), बेंगलूरु शहरी, बेंगलूरु ग्रामीण, रामनगर, कोलार, मैसूरु, मंडया, चामराजनगर, तुमकूरु, कोडुगू, दक्षिण कन्नड़, हासन, शिवमोग्गा, बेलगावी, उत्तर कन्नड़, धारवाड़, हावेरी, गदग, दावणगेरे, चिक्कमगलूरु, चिक्कबल्लापुर और उडुपी में भी टीकाकरण अभियान चलेगा। लेकिन इन जिलों में कक्षा एक, कक्षा पांच और कक्षा 10 के बच्चों का ही टीकाकरण होगा। कक्षा एक के बच्चों को डीपीटी जबकि अन्य बच्चों को टीडी का टीका लगाया जाएगा। सभी स्कूलों, स्वास्थ्य निकायों व आंगनवाड़ी केंद्रों में टीकाकरण केंद्र स्थापित होंगे।
उल्लेखनीय है कि सितंबर में गुलबर्गा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सायंसेस (kalburgi institute of medical sciences – जीआइएमएस) में डिप्थीरिया के कारण जीआइएमएस छात्रावास की करीब 25 छात्राओं को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।
क्या है डिप्थीरिया
कॉरीनेबैक्टेरियम बैक्टीरिया के संक्रमण से डिप्थीरिया होता है। बैक्टीरिया सबसे पहले गले को संक्रमित करता है। इससे सांस नली तक संक्रमण फैल जाता है। संक्रमण की वजह से एक झिल्ली बन जाती है। मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। एक स्थिति के बाद इससे जहर निकलने लगता है जो खून के जरिए मस्तिष्क और हृदय तक पहुंच जाता है। यह बैक्टीरिया आम तौर पर सितम्बर महीने में सर्वाधिक सक्रिय हो जाता है। अक्टूबर के बाद से इसका प्रभाव कम होने लगता है। चपेट में ज्यादातर बच्चे आते हैं। हालांकि बीमारी बड़ों में भी हो सकती है।