scriptअनुशासन पहले भी था, अब भी है और रहेगा | Discipline was earlier, it is still and will remain | Patrika News

अनुशासन पहले भी था, अब भी है और रहेगा

locationबैंगलोरPublished: Oct 01, 2018 01:08:36 am

Submitted by:

Priyadarshan Sharma

संत रविन्द्र मुनि के सान्निध्य में अनुशासन दिवस मनाया

anuvrat

अनुशासन पहले भी था, अब भी है और रहेगा

फोटो गोडवाड़ भवन…
बेंगलूरु. अणुव्रत उद्बोधन दिवस पर रविवार को गोडवाड़ भवन में संत रविन्द्र मुनि के सान्निध्य में अनुशासन दिवस मनाया गया। अणुव्रत समिति बेंगलूरु के सह मंत्री छत्तरसिंह सेठिया व टीम के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। अणुव्रत समिति अध्यक्ष कन्हैयालाल चिप्पड़ ने अणुव्रत किसी व्यक्ति या धर्म के लिए नहीं बल्कि हर धर्म व सम्प्रदाय से जुडऩे वाली संस्था है।
मुख्य वक्ता भूपेंद्र मूथा ने आचार्य तुलसी की दूरदर्शिता का वर्णन करते हुए अनुशासन से किस प्रकार नैतिकता सामने आए, विषय पर जानकारी दी। ऋषि मुनि ने गुरु भक्ति के ऊपर गीत प्रस्तुत किया। रविन्द्र मुनि ने अनुशासन और अनुशास्ता विषय पर श्रदालुओं को जागरूक किया। संचालन सुमित्रा बरडिय़ा ने किया। आभार चिकपेट शाखा मंत्री गौतम धारीवाल ने व्यक्त किया। शांतिलाल लोढ़ा, शांतिलाल भंडारी, कुमारपाल सिसोदिया की विशेष उपस्थिति रही। अणुव्रत महासमितिसदस्य जितेन्द्र घोषाल, सह मंत्री प्रवीण बोहरा, प्रचार प्रसार चंद्रशेखरैया, राजेन्द्र बैद, डॉ. रवि, वसंता देवड़ा, बाबूलाल चौधरी, विक्रम डूगर सहित श्रावक-श्राविका उपस्थित थे।

प्रेक्षा स्वयं के बोध की यात्रा है
बेंगलूरु. तेरापंथ सभा भवन गांधीनगर में रविवार को साध्वी कंचन प्रभा एवं साध्वी मंजू रेखा के सान्निध्य में पे्रेक्षा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रेक्षा गीत से हुई। साध्वी कंचनप्रभा ने कहा कि प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ ने 20 वर्षों तक स्वयं को प्रयोगशाला बना कर विश्व के लिए प्रेक्षा ध्यान प्रणाली को प्रस्तुत किया। प्रेक्षा स्वयं के बोध की यात्रा है। स्वयं सत्य खोजें सब के साथ मैत्री करें। यही इसका महत्वपूर्ण सूत्र है। ध्यान द्वारा समस्त आधि-व्याधि-उपाधि से मुक्त हुआ जा सकता है। रागद्वेष रहित वर्तमान क्षण से जागृत रहना ही पे्रक्षा है।
साध्वी मंजू रेखा ने कहा कि प्रेक्षा ध्यान प्रक्रिया केवल ध्यान की प्रक्रिया नहीं अपितु जीवन के विकास प्रक्रिया है। ज्ञानशाला के बालक बालिकाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा ज्ञान को बढ़ाने के लिए ज्ञानमुद्रा व दीर्घश्वास प्रेक्षा के प्रयोग से अन्तस्त्रावि ग्रथियों में सक्रियता व संतुलन बना रहता है। तेरापंथ सभा के कार्यकारिणी सदस्य सुभाष डागा ने स्वागत किया। मुख्य प्रशिक्षक हेमराज सेठिया ने विचार व्यक्त किए। अनिल खटेड़ ने जीवन विज्ञान के बारे में जानकारी दी। गौतम दक व सरस्वती बाफना ने अनुपेे्रक्षा के प्रयोग करवाए। सुनिता दक व रत्ना बोलिया ने अपने अनुभव बताए। साध्वी उदितप्रभा, साध्वी निर्भय प्रभा, साध्वी चेलनाश्री ने आशीर्वाद प्रदान किया। गांधीनगर ज्ञानशाला के बालक बालिकाओं ने भी प्रयोग किए।



loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो