प्रेक्षा स्वयं के बोध की यात्रा है
बेंगलूरु. तेरापंथ सभा भवन गांधीनगर में रविवार को साध्वी कंचन प्रभा एवं साध्वी मंजू रेखा के सान्निध्य में पे्रेक्षा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रेक्षा गीत से हुई। साध्वी कंचनप्रभा ने कहा कि प्रेक्षा प्रणेता आचार्य महाप्रज्ञ ने 20 वर्षों तक स्वयं को प्रयोगशाला बना कर विश्व के लिए प्रेक्षा ध्यान प्रणाली को प्रस्तुत किया। प्रेक्षा स्वयं के बोध की यात्रा है। स्वयं सत्य खोजें सब के साथ मैत्री करें। यही इसका महत्वपूर्ण सूत्र है। ध्यान द्वारा समस्त आधि-व्याधि-उपाधि से मुक्त हुआ जा सकता है। रागद्वेष रहित वर्तमान क्षण से जागृत रहना ही पे्रक्षा है।
साध्वी मंजू रेखा ने कहा कि प्रेक्षा ध्यान प्रक्रिया केवल ध्यान की प्रक्रिया नहीं अपितु जीवन के विकास प्रक्रिया है। ज्ञानशाला के बालक बालिकाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा ज्ञान को बढ़ाने के लिए ज्ञानमुद्रा व दीर्घश्वास प्रेक्षा के प्रयोग से अन्तस्त्रावि ग्रथियों में सक्रियता व संतुलन बना रहता है। तेरापंथ सभा के कार्यकारिणी सदस्य सुभाष डागा ने स्वागत किया। मुख्य प्रशिक्षक हेमराज सेठिया ने विचार व्यक्त किए। अनिल खटेड़ ने जीवन विज्ञान के बारे में जानकारी दी। गौतम दक व सरस्वती बाफना ने अनुपेे्रक्षा के प्रयोग करवाए। सुनिता दक व रत्ना बोलिया ने अपने अनुभव बताए। साध्वी उदितप्रभा, साध्वी निर्भय प्रभा, साध्वी चेलनाश्री ने आशीर्वाद प्रदान किया। गांधीनगर ज्ञानशाला के बालक बालिकाओं ने भी प्रयोग किए।