प्राचीन आध्यात्मिक साहित्य में सोलह योग भावनाओं का विस्तार से विवेचन हुआ है। उनके अभ्यास से सही दृष्टिकोण का निर्माण होता है। सोलह भावनाओं में पहली भावना अनित्य भावना है। सुख और दुख की अवस्थाएं नित्य नहीं हैं। इसीलिए सुख में अधिक आसक्ति रखना तथा दुख में निराशा और हीनता का अनुभव करना उचित नहीं है। जो दोनों में समता से जीता है, उसका जीवन कलापूर्ण होता है।
इस अवसर पर मैसूर, नंजनगुड, कुन्नूर आदि अनेक क्षेत्रों के श्रद्धालुओं ने मुनि के सेवा दर्शन का लाभ लिया। तेरापंथ सभा, मैसूर के मंत्री अशोक दक, संपत नगवत, विजय बरडिया, तेरापंथ सभा नंजनगुड के अध्यक्ष पंकज दक, कैलाश मेहता, तेयुप अध्यक्ष प्रतीक दक, मंत्री कुलदीप बोहरा, पवन भंडारी, मुकेश सिंघवी, आकाश दक, डॉक्टर पारस जैन, आदित्य बोहरा, सोनू नगवत ने विहार सेवा का लाभ लिया ।