वहीं हीन कुल में जन्म लेने वाला बालक सुसंगति पाकर महान विद्वान और साधु बनकर संसार में लोगों का श्रद्धा पात्र बनता है। उन्होंने कहा कि सत्संगति बुद्धि की जड़ता को नष्ट करती है, वाणी को सत्य से सींचती है।
मान बढ़ाती है। चित्त को प्रसन्नता देती है। संसार में यश फैलाती है। सज्जन पुरुषों के समागम से पहला और सर्वोत्तम लाभ ये है कि वे शत्रु और मित्र दोनों से समान व्यवहार करते हैं।
वे सदा दूसरों का हित ही करते हैं। कभी भी किसी को हानि नहीं पहुंचाते हैं,चाहे वह उनका कट्टर दुश्मन ही क्यों न हो हानि नहीं पहुंचाते हैं।