क्या दूध उत्पादन बढ़ाने की सजा मिली है किसानों को!
किसानों से दो रुपए प्रति लीटर कम दर पर होगी दूध की खरीदी
केएमएफ कम कीमत पर खरीदेगा दूध

बेंगलूरु. किसान हितैषी होने का दावा कर रही मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी नीत सरकार में पहला झटका किसानों और पशुपालकों को ही लगा है। पशुपालन से जुड़े राज्य के करीब 24 लाख दूध उत्पादक किसानों को 1 जून से प्रति लीटर दूध पर 2 रुपए कम मिल रहे हैं। कर्नाटक दुग्ध उत्पादक सहकारिता समिति (केएमएफ) ने तय किया है कि पशुपालकों से खरीदे जाने वाले दूध पर उन्हें दो रुपए कम भुगतान किया जाएगा। खरीद दर को कम करने पीछे तर्क दिया गया है कि इस समय दूध का अधिक भंडार है और बाजार में दूध तथा दूध उत्पादों की मांग में कमी आई है। यही कारण है कि पशु पालकों को दूध खरीद पर कम भुगतान किया जाएगा।
केएमएफ द्वारा रोजना करीब 75 लाख लीटर दूध की खरीद की जाती है। वहीं करीब 65 प्रकार के दूध उत्पादों को बेचते हुए केएमएफ का कर्नाटक के कुल दूध बाजार पर 70 प्रतिशत कब्जा है। हालांकि पशु पालकों से भले ही कम दर पर दूध की खरीद की जा रही है, लेकिन इसका फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिलेगा और उन्हें मौजूदा दर पर ही दूध और अन्य उत्पाद बेचे जाएंगे।
आमतौर पर केएमएफ के भंडारण में जून, जुलाई, नवंबर और दिसंबर के महीने में अधिक दूध संग्रहित होता है क्योंकि बरसात के समय में दूध उत्पादन बढ़ जाता है। हालांकि इस साल अच्छी बारिश के कारण दूध के भंडारण ने मई में ही बढ़ोतरी हो गई और तय लक्ष्य से ज्यादा का भंडारण हो चुका है। वहीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दूध उत्पादों की मांग कम है। इसके बावजूद, हर दिन किसानों से हर करीब 81.78 लाख लीटर दूध खरीदा जा रहा है।
किसानों के लिए बड़ा झटका
किसान नेता और कर्नाटक राज्य रैयत संघ के अध्यक्ष कोडिहल्ली चंद्रशेखर ने दूध की खरीद कीमत घटाए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि यह राज्य के लाखों दूध उत्पादक किसानों के लिए बड़ा झटका है। यह पूरी तरह से गलत निर्णय है क्योंकि पशुपालक अपनी मेहनत से राज्य को दूध का बड़ा उत्पादक बना रहे हैं लेकिन किसानों को ही इसकी सजा दी जा रही है। एक ओर देश की समृद्धि के लिए किसानों को दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और दूसरी ओर उन्हें दूध की सही कीमत नहीं दी जा रही है।
प्रसंस्करण में चार रुपए प्रति लीटर का घाटा
केएमएफ ने स्पष्ट किया है कि वित्तीय स्थिति के आधार पर दूध संघ दूध की खरीद पर फैसला करते हैं और तदनुसार कीमत तय करते हैं। इसी तरह, अब संघों ने किसानों को प्रति लीटर पर 1 रुपये से 2 रुपये कम का भुगतान करने का फैसला लिया है। हालांकि कहा गया है कि मानसून के बाद कीमत फिर से बढ़ेगी। साथ ही वर्तमान में सरकार द्वारा दी जा रही 5 रुपये प्रति लीटर के समर्थन मूल्य में कोई बदलाव नहीं होगा।
केएमएफ का कहना है कि अत्यधिक भंडारित दूध को दूध पाउडर में बदला जाता है। दूध से दूध पाउडर प्रसंस्करण की प्रक्रिया में केएमएफ को प्रति लीटर चार रुपए का नुकसान होता है। इसलिए केएमएफ ने नुकसान की भरपाई करने के लिए दूध खरीद की कीमत घटाने का निर्णय लिया है। साथ ही राज्य सरकार से मांग की है कि सरकार द्वारा दी जा रही समर्थन मूल्य को प्रति लीटर पर 5 रुपए से बढ़ाकर 7 रुपए किया जाए।
अब पाइए अपने शहर ( Bangalore News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज