आशा कार्यकर्ता (Asha Workers) ही नहीं, चिकित्सक व नर्स भी पर्याप्त पीपीइ उपलब्ध नहीं होने से खफा हैं। उन्होंने साफ किया है कि जान जोखिम डाल काम करना उनके और परिजनों के लिए बेहद खतरनाक साबित होगा। वैसे भी देश भर से चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के संक्रमित होने वे मौत से ये खौफजदा हैं।
10 मार्च को कलबुर्गी के 75 वर्षीय व्यक्ति की कोविड-19 से मौत व बाद में उपचार करने वाले चिकित्सक के संक्रमित होने की घटना के एक माह बाद भी सरकार पीपीइ उपलब्ध करा पाने में विफल है। हालांकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बी. श्रीरामुलू ने एक सप्ताह के अंदर चरणबद्ध तरीके से समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि पीपीइ किट उपलब्ध है। चिकित्सकों, नर्सों व आशा कार्यकर्ताओं की शिकायत दूर करेंगे।
विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि प्रदेश में कोविड-19 मरीजों की संख्या कम है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। लेकिन ज्यादातर मरीजों के सेकंडरी कॉन्टैक्टस की जांच नहीं हुई है। जांच होने पर पुष्ट मरीजों की संख्या में वृद्धि होगी।
श्रीरामुलू ने कहा कि मंगलवार से कलबुर्गी और चिकबल्लापुर जैस हॉट स्पॉट जिलों में सेकंडरी कॉन्टैक्टस की जांच शुरू करने की योजना है। अब करीब एक लाख जांच किट उपलब्ध हैं। मरीजों के संपर्क में आए हर व्यक्ति की जांच होगी।