scriptरूस की कोरोना वैक्सीन को लेकर संयम बरतने की जरूरत : चिकित्सक | doctors suggest centre to wait over Russian Coronavirus vaccine | Patrika News

रूस की कोरोना वैक्सीन को लेकर संयम बरतने की जरूरत : चिकित्सक

locationबैंगलोरPublished: Sep 21, 2020 03:03:56 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल बेहद अहम

तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल बेहद अहम

तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल बेहद अहम

बेंगलूरु. रूस की विवादित स्पूतनिक-5 ( Russian Coronavirus vaccine Sputnik) वैक्सीन को लेकर चिकित्सकों ने केंद्र सरकार को संयम बरतने की सलाह दी है। यह वैक्सीन शुरू से ही संदेह के घेरे में है और इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी लगातार सवाल उठाती रही है।

कुछ दिनों पहले ही भारत में स्पूतनिक-5 वैक्सीन के तीसरे चरण में क्लिनिकल ट्रायल का रास्ता खुला है। रशियन डॉयरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड यानि आरडीआइएफ ने भारत की डॉ. रेड्डीज लैब के साथ एक खास करार किया है। करार के तहत वैक्सीन के भारत में ट्रायल और डिस्ट्रीब्यूशन का कार्य डॉ. रेड्डीज लैब करेगी। इस समझौते के तहत आरडीआइएफ देश में 10 करोड़ वैक्सीन की डोज की सप्लाई करेगी।

आरडीआइएफ इसके साथ चार अन्य भारतीय कंपनियों के साथ बात कर रही है जो भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन करेंगी। बाकी दो स्वदेशी टीकों का ट्रायल दूसरे चरण में है। वहीं ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का ट्रायल भारत में रुका हुआ है। देश में स्पूतनिक-वी ही सबसे पहले उपलब्ध होने वाली कोरोना वैक्सीन हो सकती है। लेकिन, इस सबके बीच वैक्सीन के दुष्प्रभाव सामने आने की खबरों ने चिकित्सकों को चिंता में डाल दिया है।

रूस में हो तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल

पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. एच. परमेश ने बताया कि वैक्सीन के मामले में 14 प्रतिशत दुष्प्रभाव भी काफी है। जहां तक उन्हें याद है दुष्प्रभाव दो फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। भारत को चाहिए कि तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल रूस में ही होने दे। जो बेहद महत्वपूर्ण है। वैक्सीन को लेकर हड़बड़ाहट जोखिम भरा हो सकता है। हालांकि मकसद लोगों को बचाना है। वैक्सीन लगने के बाद लू जैसे लक्षणों को लेकर विशेष चिंता नहीं है। अन्य लक्षणों को लेकर सावधानी बरतनी होगी।

कठोर सुरक्षा जांच के बाद मिले व्यापक इस्तेमाल की मंजूरी

एस्टर सीएमआइ अस्पताल में संक्रामक रोग विभाग की डॉ. स्वाति राजगोपाल ने बताया कि अमूमन किसी वैक्सीन को बाजार में उतारने के लिए एक से दो वर्ष लगते हैं। कई चरणों में टेस्ट किए जाते हैं। लेकिन कोविड-19 के टीके के मामले में अनुसंधान का काम सामान्य स्थिति की तुलना में काफी तेज गति से जारी है। कठोर सुरक्षा जांच के बाद किसी टीके को व्यापक इस्तमाल की मंजूरी मिलती है।

जल्दबाजी सही नहीं

मणिपाल अस्पताल में इंटर्नल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. मनोहर के. एन. के अनुसार फिलहाल वैक्सीन को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। ज्यादातर वैक्सिन क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे या तीसरे फेज में हैं। बेहद महत्वपूर्ण तीसरा फेज निर्धारित करेगा कि वैक्सीन को मंजूरी दी जा सकती है या नहीं। वैसे ट्रायल में जल्दबाजी वैज्ञानिक रूप से सही नहीं है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो