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किसी को ना मत कहो, योग्यतानुसार अवश्य दो-साध्वी सुविधि

locationबैंगलोरPublished: Jan 26, 2022 07:30:02 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

राजाजीनगर में धर्मसभा का आयोजन

किसी को ना मत कहो, योग्यतानुसार अवश्य दो-साध्वी सुविधि

किसी को ना मत कहो, योग्यतानुसार अवश्य दो-साध्वी सुविधि

बेंगलूरु. राजाजीनगर स्थानक में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा के सान्निध्य में साध्वी सुविधि ने कहा कि जीवन में देने का भाव रखना चाहिए। आपके पास जितना भी हो योग्यतानुसार देने के भाव रखो, किसी को ना मत कहो। प्रकृति मनुष्य को देने की प्रेरणा देती है। वृक्ष से फल मांगो, नदी से पानी मांगो, चांद से शीतलता मांगो तो यह प्रकृति हमें कभी ना नहीं कहती है। वृक्ष अपना फल नहीं खाते लेकिन हमें देते हैं, नदी अपना जल नहीं पीती लेकिन औरों की प्यास बुझाती है। प्रकृति औरों को देने के लिए सदैव तत्पर रहती है। हमारे पास जितना भी है हमें सामथ्र्य के अनुसार देना चाहिए। सिर्फ धन ही नहीं दो शब्द, दो पल भी कोई हमसे मांगे तो हमें देना चाहिए।
ज्ञानियों ने चार प्रकार की मानसिकता बताई है। कठोरता, कृपणता, उदारता और कोमलता। कठोर व्यक्ति ना खुद देता है ना औरों को देने देता है। जिनके पास देने की हैसियत नहीं होती है वे कृपणता वाले होते हैं।
उदार वे होते हैं जो सदैव देने तत्पर रहते हैं। किसी को खाली हाथ नहीं भेजते है। कोमलता वाले व्यक्ति स्वयं चलकर देने के लिए निकल पड़ते हैं। यह चार प्रकार की मानसिकता को लेकर व्यक्ति चलते है। हमें किस श्रेणी में रहना है यह हमें सोचना है। अगर हमें कुछ मिला है तो वह पूर्व में देने से ही मिला है। जो दोगे वही पाओगे। संगम ग्वाले ने खीर वहराई तो शलिभद्र बन गए। चंदनबाला ने मुनि को उड़द के बापले वहराए तो प्रथम साध्वी बन गईं। हमें कुछ पाना है तो देना ही पड़ेगा। साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि विवेक में ही धर्म है। हमें जीवन में विवेक से यतना से कार्य करना चाहिए। मन में अगर दृढ़ विश्वास हो तो हम हर परिस्थिति का विवेक से मुकाबला कर सकते हैं। इस अवसर पर चेन्नई से धर्मीचंद बोहरा परिवार सहित उपस्थित हुए। साध्वी वृंद का बुधवार का प्रवचन सुबह 9:15 से रहेगा। संचालन मंत्री प्रकाश चाणोदिया ने किया।
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