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दोषों से जीवन का पतन: डॉ. समकित मुनि

locationबैंगलोरPublished: Aug 13, 2020 07:43:19 pm

शूले स्थानक में प्रवचन

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बेंगलूरु. अशोकनगर शूले जैन स्थानक में विराजित डॉ. समकित मुनि ने समकित की यात्रा प्रवचन माला के अंतर्गत बत्तीस शुभ योग संग्रह के सूत्रों पर विवेचन करते हुए कहा कि दोषों से हमेशा बचकर रहें। दोष लग जाने पर उसका शुिद्धकरण करें। जिंदगी दोस्त बन जाती है यदि दोषों से बचकर रहते हैं।
जिंदगी उस वक्त हमसे नाराज हो जाती है जब दोष हमारे हमराही हो जाते हैं। दोष हमसफर बन जाते हैं तो हमारी आत्मा की राह अलग हो जाती है जो पुन: सही रास्ते पर आने में समय लगाती है। दोषों से जीवन का पतन होता है। दोष एक बार जीवन में आ जाते हैं तो उनसे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। वही महान पुरुष होते हैं जो स्वयं को दोषों से दूर रखते हैं। कोई भी नियम लेने के बाद सजग रहें ,जागरूक रहें, दोषों का सेवन ना करें।
मुनि नेे कहा जो गुणों को उम्र भर उठा लेता है वही श्रमण धर्म का पालन कर सकता है। नियमों का पालन करते करते यदि उसमें शिथिलता आ जाए और सहयोगी साथी अनुकूल मिल जाए तो नरक की यात्रा की ओर बढ़ते कदम मोक्ष मार्ग पकड़ लेते हैं। दोषों से स्वयं को बचाए रखने के लिए साथ में अच्छा साथी होना भी जरूरी है। अच्छे साथी सद् मार्ग पर बढ़ाने मे सहयोग करते हैं और साथी यदि अच्छा ना हो तो कदम भटक जाते हैं।
प्रचार-प्रसार मंत्री प्रेम कुमार कोठारी ने बताया कि मुनि ने पर्युषण की आराधना अपने-अपने घरों में रहकर करने की प्रेरणा दी। पर्वाधिराज के अंतर्गत सुबह 8:30 बजे से अंतकृतदशा सूत्र का मूल पाठ का वाचन और उसके बाद विवेचन किया जाएगा। प्रवचनों का प्रसारण फेसबुक आदि के द्वारा किया जा रहा है जिससे प्रत्येक सदस्य घर पर रहकर धर्माराधना से जुड़ सकता है।
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