इससे पहले कुछ विफलताओं के कारण यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई थी। लेकिन, जब एक New Team को इस Project पर लगाया गया तो उसने सफलता की नई Story लिख डाली। हाल में हुए इस ड्रोन के परीक्षण के दौरान 32 मिनट की निर्बाधित उड़ान पूरी हुई। यह उड़ान 21 मानदंडों पर खरी उतरी है।
कम लागत वाले ड्रोन विकसित करने की जरूरतों के मद्देनजर फिर से शुरू की गई परियोजना को नई टीम ने उम्मीदों से भर दिया है। वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) की UDV प्रयोगशाला में विकसित ड्रोन ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई अहम प्रणालियां विकसित कर ली हैं।
अभ्यास एक ऐसा ड्रोन है, जिसे उड़ान भरने के दौरान किसी बाहरी मदद की जरूरत नहीं है। इसे पूरी तरह स्वचालित उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी संरचना एक इन-लाइन छोटे gas turbine engine पर डिजाइन की गई है। यह अपने नेविगेशन के लिए स्वदेशी तकनीक से तैयार MEMS आधारित नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करता है। यह 5 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है और यह 180 मीटर/सेकंड की गति पकड़ सकता है।
लगभग 70 किलोग्राम वजनी इस ड्रोन का परिचालन आसानी से हो सकता है। इसे साधारण लांचर से लांच किया जा सकता है। DRDO ने दिसम्बर 2020 तक इसका उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है।
दरअसल, इस ड्रोन की अवधारणा जनवरी 2013 में तैयार की गई थी। वर्ष 2012 में पहला test launch किया गया था। इस परियोजना को 15 करोड़ रुपए की प्रारंभिक राशि के साथ मंजूरी दी गई थी। 225 HD Drone के लिए टेंडर निकाले जाने के बाद यह परियोजना तेजी से आगे बढ़ी थी।