बताया जाता है कि बेलीहंगल में स्थित मदरसा अल अरबिया अनवारुल उलूमा में हुए इस सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन जामिया फैजान-उल-कुरान और ईसा फाउंडेशन ने किया था। हिंदू जोड़ों को गीता और मुस्लिम जोड़ों को कुरान
समारोह में मौलवी और पंडित ने शादी की रस्मों को पूरा कराया और इस दौरान नवविवाहित जोड़ों से कुरान और भागवत गीता का एक अंश भी पढऩे को कहा गया। विवाह सम्पन्न होते ही नवविवाहित हिंदू जोड़ों को गीता और मुस्लिम जोड़ों को कुरान एक-एक प्रति दी गई। आयोजकों की ओर से हिंदू दुल्हनों को मंगलसूत्र भी प्रदान किया। चर्चा का विषय बने इस कार्यक्रम में 4,000 से अधिक लोग शामिल हुए।
नवविवाहित रंजीता के अनुसार मेरे माता-पिता हमारी शादी का खर्च नहीं उठा सकते थे। लेकिन जब मुझे बेलीहंगल में सामूहिक विवाह के बारे में जानकारी मिली तो हम लोग यहां शादी के लिए राजी हो गए क्योंकि यह लोगों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देता है।
सामूहिक विवाह के दौरान अनोखा नजारा देखने को मिला जब एक ओर निकाह की दुआ पढ़ी जी रही थी वहीं दूसरी ओर मंत्रोच्चार से मंडप गुंजायमान हो रहा था।