कन्नड़ भाषा संस्कृति की अनदेखी करने का आरोप
बेंगलूरु. केंद्र में चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की, हर सरकार ने हमेशा कन्नड़ भाषा तथा संस्कृति की अनदेखी की है। पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि लोकसभा सचिवालय के पार्लियामेंटरी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट फॉर डेमोक्रेसी ने 22 जून से प्रस्तावित ऑनलाइन परीक्षा में गुजराती, मराठी, उडिय़ा, तमिल, तेलुगु भाषाओं को वरीयता दी है। लेकिन सूची में कन्नड़ भाषा नहीं है। इसके बावजूद भाजपा के 25 सांसदों के मौन से स्पष्ट है कि उन्हें कन्नड़ भाषा संस्कृति की कोई चिंता नहीं है। इस ऑनलाइन परीक्षा में सांसद तथा प्रशासनिक अधिकारी भाग लेते है।
उन्होंने कहा कि चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ने कन्नड़ भाषा के लिए कोई योगदान नहीं दिया है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल तथा तमिलनाडु के सांसद तमिल भाषा और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए दलगत राजनीति से उपर उठकर संघर्ष करते हैं लेकिन राज्य का प्रतिनिधित्व करनेवाले सांसदों में ऐसी एकजुटता नहीं मिलती है। एक मजबूत क्षेत्रीय दल होने के कारण जनता दल एस इस खामी को पूरा करने का हरसंभव प्रयास करेगा।
बेंगलूरु. केंद्र में चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की, हर सरकार ने हमेशा कन्नड़ भाषा तथा संस्कृति की अनदेखी की है। पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि लोकसभा सचिवालय के पार्लियामेंटरी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट फॉर डेमोक्रेसी ने 22 जून से प्रस्तावित ऑनलाइन परीक्षा में गुजराती, मराठी, उडिय़ा, तमिल, तेलुगु भाषाओं को वरीयता दी है। लेकिन सूची में कन्नड़ भाषा नहीं है। इसके बावजूद भाजपा के 25 सांसदों के मौन से स्पष्ट है कि उन्हें कन्नड़ भाषा संस्कृति की कोई चिंता नहीं है। इस ऑनलाइन परीक्षा में सांसद तथा प्रशासनिक अधिकारी भाग लेते है।
उन्होंने कहा कि चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ने कन्नड़ भाषा के लिए कोई योगदान नहीं दिया है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल तथा तमिलनाडु के सांसद तमिल भाषा और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए दलगत राजनीति से उपर उठकर संघर्ष करते हैं लेकिन राज्य का प्रतिनिधित्व करनेवाले सांसदों में ऐसी एकजुटता नहीं मिलती है। एक मजबूत क्षेत्रीय दल होने के कारण जनता दल एस इस खामी को पूरा करने का हरसंभव प्रयास करेगा।