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एक ऐसी सडक़ जिसके कारण कुंवारे हैं गांव के युवा

locationबैंगलोरPublished: Jun 19, 2019 04:05:11 pm

कारवार जिले के कुमटा तहसील के बुनियादी सुविधाओं से वंचित मेदिनी गांव के 25 से अधिक युवाओं की शादी इसलिए नहीं हो रही है, क्योंकि पहाड़ी पर स्थित इस गांव के लिए कोई पक्की सडक़ नहीं है। गांव तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर दुर्गम सडक़ का सफर करना पड़ता है। इसलिए लडक़ी वाले इस गांव में शादी के लिए तैयार नहीं हैं।

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एक ऐसी सडक़ जिसके कारण कुंवारे हैं गांव के युवा

लडक़ी वाले इस गांव में शादी के लिए तैयार नहीं

बेंगलूरु. कारवार जिले के कुमटा तहसील के बुनियादी सुविधाओं से वंचित मेदिनी गांव के 25 से अधिक युवाओं की शादी इसलिए नहीं हो रही है, क्योंकि पहाड़ी पर स्थित इस गांव के लिए कोई पक्की सडक़ नहीं है। गांव तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर दुर्गम सडक़ का सफर करना पड़ता है। इसलिए लडक़ी वाले इस गांव में शादी के लिए तैयार नहीं हैं। यह गांव बासमती चावल के लिए मशहूर है। इस चावल से बनी खीर भी स्वादिष्ट होती है, यह चावल 100 से 120 रुपए प्रति किलो बिकता है। लेकिन गांव के लिए कोई संपर्क सडक़ नहीं होने के कारण इस अनूठे चावल की समुचित मार्केटिंग संभव नहीं हो पा रही है।
तहसील मुख्यालय कुमटा से 40 किलोमीटर सिद्धापुर तहसील की सीमा पर घने वनक्षेत्र में दुर्गम गांव तक पहुंचने के लिए ऊबड़-खाबड़ पथरीली सडक़ का सफर पर्वतारोहण से कम नहीं है। यहां पर पहुंचते-पहुंचते यात्री का पसीना छूट जाता है। गांव के 53 परिवारों में 400 जनों की आबादी है। इस गांव का नाम सुनते ही लोग रिश्ता करने से इनकार कर देते हैं। गांव में सरकारी प्राथमिक स्कूल तथा बिजली की आपूर्ति के अलावा और कोई सुविधा नहीं है। बारिश के दिनों में यहां तेज हवाओं के कारण पेड़, उनकी शाखाएं तारों पर गिरने से बिजली आपूर्ति लगभग ठप रहती है। यहां के निवासी कृषि पर निर्भर है। यहां वरिष्ठ जन बारिश के दिनों में इस गांव की संपर्क सडक़ पर चलने का साहस भी नहीं जुटा सकते हैं।
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