script…तो इस विसंगति से इसरो का नया रॉकेट चूका लक्ष्य…जानिए क्या बोले इसरो प्रमुख | ... Due to this snag ISRO SSLV not achieved target | Patrika News
बैंगलोर

…तो इस विसंगति से इसरो का नया रॉकेट चूका लक्ष्य…जानिए क्या बोले इसरो प्रमुख

उपग्रहों के कक्षा में स्थापित करने के दौरान एक विसंगति आई
उपग्रह वृत्ताकार कक्षा की जगह अंडाकार कक्षा में पहुंच गए

बैंगलोरAug 09, 2022 / 02:42 am

Rajeev Mishra

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बेंगलूरु. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि एसएसएलवी का पहला प्रायोगिक प्रक्षेपण मामूली विसंगति के कारण पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाया। उन्होंने विश्वास जताया कि अंतरिक्ष एजेंसी जल्द ही एसएसएलवी के दूसरे मिशन के साथ लॉन्च पैड पर लौटेगी।

सोमनाथ ने कहा कि इस बात की खुशी है कि एसएसएलवी का पहला प्रायोगिक विकासात्मक प्रक्षेपण दो उपग्रहों ईओएस-02 और आजादी सैट के साथ हुआ। मिशन के दौरान रॉकेट का प्रदर्शन सामान्य रहा।

सुबह 9.18 बजे रॉकेट ने शानदार उड़ान भरी। रॉकेट के पहले, दूसरे और तीसरे चरण (एसएस-1, एसएस-2 और एसएस-3) का निष्पादन शानदार तरीके से हुआ। मिशन के दौरान रॉकेट का प्रदर्शन सामान्य रहा। अंतत: यह धरती की 356 किमी वाली कक्षा में पहुंचा जहां दोनों उपग्रह प्रक्षेपण यान से अलग हुए। लेकिन, उपग्रहों के कक्षा में स्थापित करने के दौरान एक विसंगति आई। उपग्रह वृत्ताकार कक्षा की जगह अंडाकार कक्षा में पहुंच गए। पूर्व निर्धारित 356 गुणा 356 किमी वाली वृत्ताकार कक्षा के बजाय 356 गुणा 76 किमी वाली कक्षा में स्थापित हुए। जब उपग्रह इस तरह की कक्षा में पहुंचते हैं तो स्थिर नहीं रहते क्योंकि, यह कक्षा स्थिर नहीं है। धरती के वातावरण के आकर्षण से उपग्रह नीचे आ जाते हैं। दोनों उपग्रह और नीचे आ भी गए हैं। अब ये उपयोग के लायक नहीं हैं। हमने विसंगति की पहचान कर ली है।
गहराई से जांच करेंगे कि ऐसा क्यों हुआ?
दरअसल, यह किसी सेंसर की विफलता की पहचान करने और उसमें सुधार के लिए जिस लॉजिक को अपनाया गया उसकी विफलता है। कोई और विसंगति नहीं है लेकिन, हम इसकी और गहराई से पड़ताल करेंगे। रॉकेट की प्रणोदन प्रणाली से लेकर अन्य तमाम प्रणालियां, हार्डवेयर, एयरोडायनामिक्स, नई पीढ़ी के कंट्रोल इलेक्ट्रोनिक्स, नियंत्रण प्रणाली, रॉकेट का आर्किटेक्चर सब कुछ ठीक है और पहले ही प्रक्षेपण में यह सब साबित हुआ है। जो विसंगति सामने आई है उसके बारे में हम गहराई से जांच करेंगे कि ऐसा क्यों हुआ? इसका विस्तृत मूल्यांकन होगा। विशेषज्ञों की एक टीम इसका विश्लेषण कर अपनी सिफारिशें सौपेंगी जिसे बिना किसी देरी के लागू किया जाएगा। मामूली सुधार के बाद जल्द ही इसरो एसएसएलवी के दूसरे मिशन एसएसएलवी डी-2 के साथ लौटेगा। उम्मीद है कि दूसरा मिशन बिल्कुल सफल रहेगा और उपग्रहों को निर्दिष्ट कक्षा में पहुंचाया जाएगा। भारत और विश्व के वाणिज्यिक बाजार को एक नया रॉकेट मिलेगा। भारत आत्मनिर्भर होगा।
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