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तब इंदिरा के करीबी अर्स ने इलाज के लिए अटल को विमान से भिजवाया था दिल्ली

locationबैंगलोरPublished: Aug 17, 2018 01:51:09 am

आपातकाल की घोषणा के एक दिन बाद 26 जून को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बेंगलूरु में गिरफ्तार किया गया था

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अटल बिहारी बाजपेयी

बेंंगलूरु. आपातकाल के दौरान जहां दूसरे राज्यों की जेलों में बंद विपक्षी नेताओं पर काफी सख्ती हो रही थी वहीं कर्नाटक में राजनीतिक बंदियों के लिए हालात थोड़े से अलग थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के काफी करीबी और विश्वास पात्र रहे देवराज अर्स तब राज्य के मुख्यमंत्री थे। राजनीतिक कैदियों को जेल में आवश्यक सुविधाएं मिलती थीं, बाकी राज्यों की तरह उन्हें तकलीफ नहीं उठानी पड़ रही थी। गिरफ्तार होने के जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी बाकी विपक्षी नेताओं के साथ शहर के पुराने केंद्रीय जेल में रखा गया था लेकिन कैद में कुछ दिन गुजरने के बाद ही वाजपेयी की तबीयत खराब हो गई। उन्हें सरकारी विक्टोरिया अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सकों ने उन्हें एपेंडिस की समस्या से पीडि़त पाया और शल्य चिकित्सा की सलाह दी। वाजपेयी की शल्य चिकित्सा भी हुई लेकिन चार दिनों तक उनका बुखार बना रहा। चिकित्सक उनके स्वास्थ्य पर चर्चा कर रहे थे तब वाजपेयी ने अस्पताल प्रशासन से आग्रह किया वे उन्हें बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के एम्स भेजने के बारे में वे मुख्यमंत्री अर्स से बात करें। अस्पताल के अधिकारियों ने वाजपेयी के आग्रह से अर्स को अवगत कराया और उन्होंने वाजपेयी की गुजारिश को स्वीकार कर उन्हें दिल्ली भेजने की बात स्वीकार कर ली। कुछ ही घंटों बाद वाजपेयी को विमान से दिल्ली से भेज दिया गया, जहां उन्हें तिहाड़ जेल में रखा जाना था लेकिन बीमार होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वाजपेयी को रोहतक जेल भेज दिया गया।
1975 में आपातकाल की घोषणा के एक दिन बाद 26 जून को वाजपेयी को बेंगलूरु में गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त भारतीय जनसंघ के वरिष्ठ नेता रहे वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मधु दंडवते और श्यामनंदन मिश्र एक संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में भाग लेने के लिए बेंगलूरु आए हुए थे। 25 जून 1975 को आपातकाल घोषित होने से कुछ ही घंटे पहले वाजपेयी विमान से मध्यरात्रि के करीब दिल्ली से बेंगलूरु पहुंचे थे।
दंडवते विधानसौधा के पास ही एक पांच सितारा होटल में ठहरे थे जबकि बाकी तीनों नेता विधायक भवन में ठहरे थे। लेकिन चंद घंटों में ही देश के राजनीतिक हालात बदल चुके थे। आपातकाल की घोषणा के बाद संपूर्ण क्रांति का नारा देने वाले नेता जयप्रकाश नारायण (जेपी) गिरफ्तार किए जा चुके थे और वाजपेयी व आडवाणी को भी अपनी किसी भी वक्त गिरफ्तारी की जानकारी मिल चुकी थी। दोनों नेता इससे विचलित नहीं हुए और गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत होने के बजाय पुलिस के आने पर गिरफ्तार होने का निर्णय लिया।
अगली सुबह जब मिश्रा अपने कमरे में योगा कर रहे थे तो वाजपेयी और आडवाणी विधायक भवन के पहली मंजिल पर नाश्ता करने आ गए। इसी दौरान विद्यार्थी परिषद के कुछ नेता भी दोनों से मिलने पहुंचे। वाजपेयी-आडवाणी उन नेताओं से बात कर ही रहे थे कि एक पुलिस अधिकारी दल-बल के साथ वहां पहुंचा और काफी विनम्र अंदाज में दोनों नेताओं को आपातकाल लागू होने की जानकारी देते हुए कहा कि उसे उनलोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजने के आदेश मिला है। अधिकारी ने बताया कि पुलिस की जीप बाहर उन लोगों को ले जाने के लिए इंतजार कर रही है। बाद में वाजपेयी, आडवाणी, और दूसरे समाजवादी नेता- मधु दंडवते और श्यामानंद मिश्रा को २६ जून को जयप्रकाश नारायण की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करते समय गिरफ्तार कर लिए गए।
जेल जाने के कुछ ही समय बाद वाजपेयी तबीयत बिगड़ गई और काफी समय से बीमार रहने के कारण करीब साल भर बाद उन्हें बेंगलूरु केंद्रीय जेल से दिल्ली के तिहाड़ जेल भेज दिया गया जबकि आडवाणी सहित बाकी नेता १९ महीने तक बेंगलूरु जेल में रहे। राजनीतिक कैदी होने के कारण राज्य मेें देवराज अर्स के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद उनलोगों को विशेष सुविधाएं होती रही हैं। प्रधानमंत्री के तौर पर जब कभी वाजपेयी बेंगलूरु और कर्नाटक के दौरे पर आए आपातकाल के दौरान बेंगलूरु जेल में बिताए संस्मरण का उल्लेख करना नहीं भूले। कर्नाटक के साथ वाजपेयी का जुड़ाव काफी पुराना रहा है। वाजपेयी चाहे सत्ता में रहे हों अथवा विपक्ष में, प्रदेश के नेताओं के साथ रिश्ते मधुर ही रहे। सूचना व जनसंपर्क विभाग ने गुरुवार को वाजपेयी के प्रदेश दौरों की कुछ दुर्लभ तस्वीरें भी जारी की।

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