नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क बनाने की तैयारी, 8 चरणों में 15 साल तक चलेगी स्कूली शिक्षा
बैंगलोरPublished: Nov 08, 2022 05:52:27 pm
यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने दी जानकारी...एआईसीटीई, यूजीसी, एनसीटीई आदि का होगा विलय...सभी का एक राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक बोर्ड बनेगा


उच्च शिक्षा आयोग विधेयक से होगा उच्च शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन...नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क बनाने की तैयारी, 8 चरणों में 15 साल तक चलेगी स्कूली शिक्षा
मेंगलूरु. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा कि देश की उच्च शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक का मसौदा तैयार किया जा रहा है।
निट्टे डीम्ड विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेेने के लिए आए प्रो. जगदीश कुमार ने कहा कि उच्च शिक्षा प्रणाली को नया रूप दिया जा रहा है। राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक बोर्ड बनाने के लिए एआईसीटीई, यूजीसी, एनसीटीई जैसे बोर्डों का विलय किया जा रहा है। चिकित्सा, कानून, कृषि समेत सभी उच्च शिक्षा संस्थान इसके दायरे में आएंगे। राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद का गठन नैक और एनआईआरएफ जैसी मान्यता प्राप्त संस्थाओं को मिलाकर किया जाएगा। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की अनुसंधान गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद की स्थापना की जाएगी। पाठ्यक्रम, शैक्षिक क्षमता वृद्धि, शिक्षक प्रशिक्षण आदि से संबंधित गतिविधियों की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए राष्ट्रीय मानक निर्धारण परिषद की स्थापना की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इन सुधार उपायों के लिए शैक्षणिक संस्थानों को तैयार करने की आवश्यकता है। इन संस्थानों के पुनर्गठन की प्रक्रिया में हम इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि नियंत्रण प्रणाली में कोई दोहराव न हो। हम राज्य विश्वविद्यालयों, केंद्रीय विद्यालयों और डीम्ड विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक कर उन्हें मानसिक रूप से तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं। नए दिशानिर्देश तैयार करते समय, व्यापक जानकारी यूजीसी की वेबसाइट पर प्रकाशित की जाएगी और भागीदार संगठनों से प्रतिक्रिया प्राप्त की जाएगी।
शिक्षक प्रशिक्षण के लिए 100 केंद्र
उन्होंने कहा कि देश में 15 लाख शिक्षक हैं। उच्च शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की संक्रमणकालीन अवधि के दौरान उन्हें शारीरिक रूप से प्रशिक्षित करने के लिए बहुत समय की आवश्यकता होती है। इससे बचने के लिए हमने ऑनलाइन और ऑफलाइन का हाइब्रिड मॉडल बनाया है। इसके लिए 100 केंद्रों की चिन्हित किया गया है और ये शिक्षकों को दो सप्ताह का प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
प्रो. जगदीश कुमार ने कहा कि ब्लैक बोर्ड इस्तेमाल के दिन खत्म हो गए हैं। शिक्षकों को तकीक का उपयोग तथा डिजिटल मीडिया में शिक्षण सामग्री गठित करने के बारे में सिखाने की जरूरत है। कक्षा में एक खुले वातावरण का गठन करना चाहिए जहां छात्र शिक्षक को बेझिजक प्रश्न पूछ सकें। इसके लिए यूजीसी ने एक कमेटी का गठन किया है। वह समिति इस संबंध में रूपरेखा तैयार कर रही है।
बदलेगी मूल्यांकन प्रणाली
उन्होंने कहा कि सीखने की प्रक्रिया के साथ-साथ मूल्यांकन प्रणाली भी बदलेगी। कुछ छात्र विश्लेषण में अच्छे होते हैं। और कुछ एक अच्छा निबंध लिख सकते हैं। कुछ संचार में और कुछ प्रस्तुति में अच्छे होते हैं। छात्र के हर कौशल को मान्यता मिलनी चाहिए। जो सीखने में पीछे हैं उनके लिए अलग से मूल्यांकन प्रणाली होगी। मूल्यांकन का भार अब विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक पर नहीं होगा। छात्र के शिक्षक ही सीधे मूल्यांकन को नियंत्रित करेंगे।
ऐसा होगा मसौदा
अगले स्तर में प्रवेश के लिए पिछले स्तर में लाने होंगे न्यूनतम 40 क्रेडिट अंक
प्रो. जगदीश कुमार ने कहा कि नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क बनाने की तैयारी की जा रही है। इस त्रिस्तरीय प्रणाली में राष्ट्रीय स्कूल ढांचा, राष्ट्रीय उच्च शैक्षिक ढांचा और राष्ट्रीय कौशल शिक्षा ढांचा शामिल होगा। इसके तहत संपूर्ण शैक्षिक प्रक्रिया को आठ चरणों (स्तरों) में बांटा जाएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार स्कूली शिक्षा 15 साल तक चलेगी। इसे चार चरणों के रूप में शुमार किया जाएगा। छात्रों को कॉलेज शिक्षा में चौथे चरण से आठवें चरण तक शिक्षा प्राप्त करेंगे। स्नातक शिक्षा का प्रथम वर्ष 4.5 स्तर का होने पर वे पीएच.डी. की पढ़ाई करने पर आठ चरण पूरे हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि क्रेडिट स्कूल चरण में ही जमा होते हैं। अगले स्तर में प्रवेश करने के लिए छात्रों को पिछले स्तर में कम से कम 40 क्रेडिट अर्जित करना चाहिए। यहां तक कि अगर छात्र ने 35 क्रेडिट अर्जित किए हैं, तो शेष 5 क्रेडिट मिलते ही तुरंत शिक्षा के अगले स्तर पर आगे बढ़ सकते हैं। एक छात्र जो वर्तमान शिक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया उसे अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए एक शैक्षणिक वर्ष खर्च करना पड़ता था। किसी विशेष विषय में पूर्व अनुभव के लिए भी क्रेडिट दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि कोई पत्रकार उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता है, तो उसके अनुभव को भी क्रेडिट मिलेगा। व्यक्तियों में रचनात्मकता 30 साल बाद कम हो जाती है।
जुलाई 2023 तक आईडीयू की स्थापना
प्रो. जगदीश कुमार ने कहा कि कौशल आधारित डिग्री पाठ्यक्रम सीखने को बढ़ावा देने के लिए जुलाई 2023 तक भारतीय डिजिटल विश्वविद्यालय (आईडीयू) की स्थापना की जाएगी। यह यूनिवर्सिटी डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स, फाइनेंशियल मैनेजमेंट, फिनटेक जैसे कोर्स सीखने में मदद करेगी। एक छात्र मानविकी के साथ-साथ आईडीयू में कौशल शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम का अध्ययन कर सकता है। इससे उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यह एक वैश्विक स्तर के विश्वविद्यालय के रूप में उभरेगा। इसका केंद्रीय कार्यालय नई दिल्ली में होगा। हम ऑनलाइन के जरिए शिक्षा प्रदान करने जा रहे हैं। हमने इस कार्यक्रम में रोजगार एजेंसियों को जोड़ा है।