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सर्जिकल या एन-95 मास्क के पीछे भागने की जरूरत नहीं, तीन लेयर वाले घरेलू कॉटन मास्क अत्यंत प्रभावी

locationबैंगलोरPublished: Sep 18, 2021 11:27:52 am

Submitted by:

Rajeev Mishra

आइआइएससी के वैज्ञानिकों ने किया अध्ययन70-80 बार धोने पर भी उतने ही कारगर

सर्जिकल या एन-95 मास्क के पीछे भागने की जरूरत नहीं, तीन लेयर वाले घरेलू कॉटन मास्क अत्यंत प्रभावी

सर्जिकल या एन-95 मास्क के पीछे भागने की जरूरत नहीं, तीन लेयर वाले घरेलू कॉटन मास्क अत्यंत प्रभावी

बेंगलूरु.
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अमूमन एन-95 अथवा सर्जिकल मास्क को प्राथमिकता दी जा रही है जबकि घर में कॉटन से बने मास्क को नजरअंदाज किया जाता है। भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के वैज्ञानिकों के शोध से पता चला है कि घर में बने कॉटन के तीन लेयर वाले मास्क कोरोना संक्रमण और उसका प्रसार रोकने में काफी कारगर है।
आइआइएससी में सूक्ष्म जीव विज्ञान एवं कोशिका जीव विज्ञान (माइक्रोबायोलॉजी एवं सेल बायोलॉजी) विभाग की प्रोफेसर दीपशिखा चक्रवर्ती ने बताया कि यह शोध अत्यंत सरल विचारों पर आधारित है। लोगों में ऐसी धारणा है कि अगर एन-95 मास्क नहीं है तो क्या वह कोविड से पूर्ण सुरक्षा नहीं पा सकता। वहीं, बाजार में एन-95 मास्क को लेकर काफी धोखाधड़ी भी है। किसी को मालूम नहीं कि यह मास्क है क्या? लोग महंगे मास्क के पीछे भागते हैं जबकि घर में कॉटन से बने किफायती मास्क प्रभावी हैं और अनजाने में उसे नजरअंदाज कर देते हैं।
नहीं हो पाती एयरोसोलाइजेशन प्रक्रिया
आइआइएससी में कई विभागों के वैज्ञानिकों की टीम ने यह शोध किया। इस दौरान सांस लेने, छींकने अथवा खांसने से निकले कफ के छीटों के खिलाफ घरेलू मास्क की प्रभावकारिता का अध्ययन किया गया। दीपशिखा चक्रवर्ती ने बताया कि अध्ययन के दौरान हमने यह साबित किया बड़े ड्रॉपलेट (मोटे कफ के छींटे) के खिलाफ तीन लेयर वाले घरेलू कॉटन मास्क काफी प्रभावी हैं। अमूमन ये ड्रॉपलेट अलग-अलग व्यास के होते हैं और अलग-अलग गति से निकलते हैं। सबसे बड़ा खतरा यह होता है कि बड़े ड्रॉपलेट छोटी-छोटी बूंदों में विभाजित हो जाते हैं जिसे एयरोसोलाइजेशन कहते हैं। ये एक साथ कइयों को संक्रमित कर सकते हैं। लेकिन, अगर घरेलू कॉटन मॉस्क का उपयोग किया जाए तो एयरोसोलाइजेशन की प्रक्रिया रूक जाती है। महामारी के नियंत्रण में यह काफी कारगर है। इस साधारण मास्क है की प्रभावशीलता का अभी तक किसी ने अध्ययन नहीं किया था। हमने दिखाया कि जो बड़े ड्रॉपलेट है उनकी गति अलग-अलग होती है लेकिन, कॉटन फैब्रिक है उन्हें रोकने में काफी कारगर हैं।
बेधड़क करें घरेलू मास्क का उपयोग
इस अध्ययन से जुड़े प्रोफेसर सप्तर्षी बसु ने बताया कि इस अध्ययन की दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि 70 से 80 बार धोने पर भी ये मास्क उतने ही कारगर होते हंैं। यानी, लोगों को एन-95 या सर्जिकल मास्क के पीछे भागने की जरूरत नहीं है। अगर घर के बने मास्क का उपयोग करें तो यह काफी प्रभावी होगा। यह छोटे ड्रॉपलेट बनने की प्रक्रिया को रोक देगा। लेकिन, मास्क तीन लेयर वाला होना चाहिए।
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