scriptउपग्रहों में लगेगें लाइटनिंग डिटेक्टर, 3-6 घंटे पहले मिलेगी आकाशीय बिजली गिरने की सूचना | Efforts on to improve predictions onlightning | Patrika News

उपग्रहों में लगेगें लाइटनिंग डिटेक्टर, 3-6 घंटे पहले मिलेगी आकाशीय बिजली गिरने की सूचना

locationबैंगलोरPublished: Jul 17, 2020 06:14:13 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

खतरे वाले इलाके को किया जा सकेगा समय से सतर्कनासा के गोज उपग्रह नेटवर्क से भी 3-6 घंटे पहले अत्यंत सटीक पूर्वानुमान

उपग्रहों में लगेगें लाइटनिंग डिटेक्टर, 3-6 घंटे पहले मिलेगी आकाशीय बिजली गिरने की सूचना

उपग्रहों में लगेगें लाइटनिंग डिटेक्टर, 3-6 घंटे पहले मिलेगी आकाशीय बिजली गिरने की सूचना

बेंगलूरु.
आकाशीय बिजली गिरने का सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए अब भारत भी भू-स्थिर उपग्रहों में लाइटनिंग डिटेक्टर लगाएगा। इससे कब-कहां आकाशीय बिजली गिरने वाली है इसका सटीक पूर्वानुमान 3 से 6 घंटे पहले जारी किया जा सकेगा।
हालांकि, अभी भी मौसम अथवा बारिश संबंधी पूर्वानुमान 24 घंटे पहले जारी किए जाते हैं लेकिन उपग्रहों में लाइटनिंग डिटेक्टर लगाए जाने के बाद आकाशीय बिजली गिरने की सटीक भविष्यवाणी होने लगेगी। इस तरह की सेवाएं अमरीका जैसे विकसित देशों में उपलब्ध हैं जहां 3 से 6 घंटे पहले बिजली गिरने की अत्यंत सटीकता से भविष्यवाणी की जाती है। इसके लिए नासा और नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) ने ‘जियोस्टेशनरी लाइटनिंग मैपर’ (जीएलएम) से लैस ‘गोज उपग्रह नेटवर्क’ स्थापित किया है। अब भारत भी नासा की तर्ज पर अपने उपग्रहों में लाइटनिंग डिटेक्टर लगाना चाहता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम.राजीवन ने कहा है कि ‘आकाशीय बिजली गिरने के बेहतर पूर्वानुमान के लिए हम भू-स्थिर उपग्रह में लाइटनिंग डिटेक्टर लगाना चाहते हैं। इसरो ने इसके लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।’
प्रस्ताव तैयार
भारतीय मौसम विभाग में उपग्रह डिविजन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए.के. मित्रा ने ‘पत्रिका’ को बताया कि ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और भारतीय मौसम विभाग ने भारतीय उपग्रहों में लाइटनिंग डिटेक्टर लगाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे इसरो के पास भेजा जाएगा। उम्मीद है कि हमारे उपग्रहों में भी यह उपकरण लगेंगे जिससे बड़े पैमाने पर जान-माल के नुकसान से बचा जा सकेगा।’ उन्होंने बताया कि विभिन्न राज्यों में स्थापित लाइटनिंग स्टेशन और इसरो के इनसैट-3डी उपग्रह से मिली तस्वीरों के आधार पर भविष्यवाणी हो रही है। लेकिन, बिजली गिरने के करीब 10 से 15 मिनट बाद तस्वीरें मिलती हैं।
रुकेगी जान-माल की क्षति
उन्होंने बताया कि भू-स्थिर उपग्रहों में लाइटनिंग डिटेक्टर लगाए जाने के बाद पूरे भू-भाग पर नजर रहेगी और रीयल टाइम में आंकड़े मिलेंगे। इस आधार पर जो मॉडल तैयार होंगे उससे हम भी नासा की तरह 3-6 घंटे पूर्व अत्यंत सटीकता के साथ बिजली गिरने का पूर्वानुमान जाहिर कर पाएंगे। हालांकि, हम 24 घंटे पहले पूर्वानुमान जाहिर करते हैं लेकिन, किसी खास इलाके को सतर्क करने के लिए हमारे पास 3 से 6 घंटे का लीड समय मिल जाएगा। इससे बिहार जैसी दर्दनाक घटनाओं से बचा जा सकेगा जिसमें कई लोग मारे गए।
क्यों है जरूरी
हर साल 2 हजार लोग मारे जाते हैं आकाशीय बिजली से
जून और जुलाई के पहले सप्ताह तक बिहार, यूपी में 160 लोगों की मौत
ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, झारखंड में भी आकाशीय बिजली होता है खतरा
वर्तमान प्रणाली
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आइआइटीएम), वायुसेना तथा अन्य संगठनों ने स्थापित किए हैं देश के विभिन्न प्रातों में लाइटनिंग डिटेक्टर
मौसम उपग्रह इनसैट-3 डी से भी मिलते हैं अहम आंकड़े
24 घंटे पहले होती है बारिश और बिजली कड़कने की भविष्यवाणी
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो