भारतीय मौसम विभाग में उपग्रह डिविजन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ ए.के. मित्रा ने ‘पत्रिका’ को बताया कि ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और भारतीय मौसम विभाग ने भारतीय उपग्रहों में लाइटनिंग डिटेक्टर लगाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे इसरो के पास भेजा जाएगा। उम्मीद है कि हमारे उपग्रहों में भी यह उपकरण लगेंगे जिससे बड़े पैमाने पर जान-माल के नुकसान से बचा जा सकेगा।’ उन्होंने बताया कि विभिन्न राज्यों में स्थापित लाइटनिंग स्टेशन और इसरो के इनसैट-3डी उपग्रह से मिली तस्वीरों के आधार पर भविष्यवाणी हो रही है। लेकिन, बिजली गिरने के करीब 10 से 15 मिनट बाद तस्वीरें मिलती हैं।
उन्होंने बताया कि भू-स्थिर उपग्रहों में लाइटनिंग डिटेक्टर लगाए जाने के बाद पूरे भू-भाग पर नजर रहेगी और रीयल टाइम में आंकड़े मिलेंगे। इस आधार पर जो मॉडल तैयार होंगे उससे हम भी नासा की तरह 3-6 घंटे पूर्व अत्यंत सटीकता के साथ बिजली गिरने का पूर्वानुमान जाहिर कर पाएंगे। हालांकि, हम 24 घंटे पहले पूर्वानुमान जाहिर करते हैं लेकिन, किसी खास इलाके को सतर्क करने के लिए हमारे पास 3 से 6 घंटे का लीड समय मिल जाएगा। इससे बिहार जैसी दर्दनाक घटनाओं से बचा जा सकेगा जिसमें कई लोग मारे गए।
हर साल 2 हजार लोग मारे जाते हैं आकाशीय बिजली से
जून और जुलाई के पहले सप्ताह तक बिहार, यूपी में 160 लोगों की मौत
ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, झारखंड में भी आकाशीय बिजली होता है खतरा
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आइआइटीएम), वायुसेना तथा अन्य संगठनों ने स्थापित किए हैं देश के विभिन्न प्रातों में लाइटनिंग डिटेक्टर
मौसम उपग्रह इनसैट-3 डी से भी मिलते हैं अहम आंकड़े
24 घंटे पहले होती है बारिश और बिजली कड़कने की भविष्यवाणी