प्रयास अनंत सुख के लिए हो, अल्पकालिक के लिए नहीं-आचार्य महेन्द्रसागर
प्रयास अनंत सुख के लिए हो, अल्पकालिक के लिए नहीं-आचार्य महेन्द्रसागर
बेंगलूरु. महावीर स्वामी जैन श्वेेतांबर मूर्तिपूजक संघ त्यागराज नगर में विराजित आचार्य महेंद्रसागर सूरी ने कहा कि हर कोई खुशियों की तलाश में है। इसे प्राप्त करने के लिए मनुष्य जो कुछ करता है। क्या उन माध्यमों से खुशी मिल सकती है। मनुष्य सबसे पहले भौतिक सुखों की ओर आकर्षित होता है। वह धन एकत्र करता है फिर शक्ति और पद प्राप्त करने का प्रयास करता है। शक्ति और पद प्राप्ति करने मात्र से ही व्यक्ति तृप्त नहीं हो जाता। किसी सीमित वस्तु की प्राप्ति केवल अधिक की चाह पैदा करती है और सुख की खोज का कोई अंत नहीं है। यह असीम और अनंत है। यह उपलब्धि कितनी भी गरिमामयी या ऊंची क्यों न हो, यह लोगों की खुशी के लिए असीमित खोज को विराम देने में विफल रहती है। जो लोग धन के लिए लालायित रहते हैं। वह तब तक संतुष्ट नहीं होंगे, जब तक उन्हें असीमित धन प्राप्त नहीं हो जाता। न हीं शक्ति पद और प्रतिष्ठा का साधक तब तक संतुष्ट होगा, जब तक कि उन्हें असीमित अनुपात में प्राप्त नहीं कर लेता। क्योंकि यह सभी संसार की वस्तुएं हैं और अनंत वस्तुएं प्रदान नहीं कर सकता। मनुष्य के सुख की अनंत लालसा को केवल अनंत लालसा को केवल अनंत की प्राप्ति के द्वारा ही तृपत किया जा सकता है। सांसारिक संपत्ति शक्ति और स्थिति की अल्पकालिक प्रकृति केवल इस निष्कर्ष पर समझी जा सकती है कि सीमित दुनिया की कोई भी चीज सुख के लिए चिरस्थाई आग्रह को शांत नहीं कर सकती। उनका अधिग्रहण केवल आगे की लालसा को जन्म देता है। सिर्फ अनंत की प्राप्ति ही इसे शांत कर सकती है। अनंत केवल एक ही हो सकता है और वह मोक्ष। इसलिए केवल मोक्ष ही चिरस्थाई सुख प्रदान कर सकता है, जिसकी खोज प्रत्येक मनुष्य की है। मनुष्य में देवत्व की डिग्री उसकी स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित चेतना से संकेतित होती है। मनुष्य में पशुता उसे पशु जीवन में सांसारिक भोग की ओर झुकाव देती है। वह इसके प्रभाव में खाने-पीने और अन्य शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रयासरत रहता है। प्रयास अनंत सुख के लिए हो अल्पकालिक सुख के लिए नहीं।
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