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व्यस्ततम अवधि में महंगी मिलेगी बिजली!

locationबैंगलोरPublished: Sep 28, 2018 12:09:54 am

Submitted by:

Rajendra Vyas

अतिरिक्त शुल्क वसूलने के लिए स्मार्ट मीटर लगाएगा बेसकाम

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व्यस्ततम अवधि में महंगी मिलेगी बिजली!

चंदापुर सब डिविजन में प्रायोगिक आधार पर लगाए गए मीटर

बेंगलूरु. बिजली की बढ़ती मांग को प्रबंधित करने के लिए बेंगलूरु विद्युत आपूर्ति कंपनी (बेसकाम) ने प्रायोगिक स्तर पर स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।
स्मार्ट मीटर भविष्य में बिजली दरों में होने वाले बदलाव को ध्यान में रखकर लगाए जाएंगे। बिजली कंपनियों की योजना है कि पीक ऑवर के दौरान बिजली उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं से अतिरिक्त शुल्क वसूला जाए। कंपनी को उम्मीद है कि उसकी योजना को सरकार से मंजूरी मिल जाएगी जिसके बाद पीक ऑवर और ऑफ ऑवर दो भिन्न स्लेबों में बिजली शुल्क वसूला जाएगा। स्मार्ट मीटर इसी व्यवस्था को प्रबंधित करेगा। स्मार्ट मीटर की मदद से बेसकाम पीक ऑवर के दौरान बिजली खपत विशेष प्रकार से गणना करेगा और इसके ऊपर अतिरिक्त शुल्क लगाएगा। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने प्रायोगिक तौर पर इन मीटरों का निर्माण किया है। प्रायोगिक आधार पर क्रियान्वित करने के लिए चंदापुर उपसंभाग का चयन किया है। इसके तहत उपसंभाग के 1200 मीटरों में से 500 को स्मार्ट मीटर में बदला गया है। हालांकि, इसके साथ ही पुराने मीटर भी चल रहे हैं। प्रायोगिक दौर में मीटर की कार्यप्रणाली, बिजली खपत की गणना का प्रकार और मीटर रीडिंग के प्रभावी तरीकों की जांच की जाएगी। बेसकाम के अनुसार स्मार्ट मीटरों को रिहायशी, वाणिज्यिक एवं औद्योगिक यानी तीनों प्रकार के उपभोक्ताओं के यहां लगाया गया है। इसके अतिरिक्त 43 ट्रांसफार्मर को भी इससे जोड़ा गया है। प्रयोगिक परीक्षण की सफलता का आकलन करने के बाद इसे अन्य क्षेत्रों में क्रियान्वित किया जाएगा। सामान्यत: पीक ऑवर के दौरान पूरे वर्ष बेंगलूरु में बिजली खपत की मात्रा 3700 मेगावाट है लेकिन गर्मियों में खपत 4000 मेगावॉट तक पहुंच जाता है। बिजली की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए बिजली कंपनी अतिरिक्त बिजली की खरीद करती है। बिजली की मांग को पूरा करने के लिए अन्य प्रकार के ढांचागत सुविधाओं को उन्नत करना पड़ता है जिस पर अतिरिक्त व्यय आता है। बेसकाम से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है स्मार्ट मीटर की मदद से बिजली खपत को 25 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इससे कंपनी पर अतिरिक्त बिजली आपूर्ति का दबाव कम हो जाएगा। जबकि उपभोक्ता भी सही तरीके से बिजली का उपयोग करेंगे।
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