शहरी योजनाकार आरके मिश्रा का मानना है कि सरकार को सार्वजनिक परिवहन के साथ-साथ एलिवेटेड कोरिडोर परियोजना को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। शहर केवल मेट्रो कोरिडोर के भरोसे नहीं चलेगा। जो इसका विरोध कर रहे हैं उन्हें यातायात जाम को याद करना चाहिए। उसमें भी जो लंबी दूरी से यात्रा करते हुए आते हैं और सामान भी लदा होता है। उनका काम मेट्रो से नहीं चलेगा। वे परिवहन के विभिन्न विकल्प चाहिए।
परियोजना का विरोध करते हुए सिटिजन्स फोरम ऑफ बेंगलूरु के सह संस्थापक ए.श्रीनिवास कहते हैं कि फ्लाइओवर से सड़कों पर और वाहन उतरेंगे। सरकार 15 हजार 800 करोड़ रुपए खर्च कर इसे तैयार करेगी लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं होगा। यह अस्थायी समाधान है। उपनगरीय रेल सेवा की मांग दोहराते हुए उन्होंने कहा कि बेंगलूरु को मास रैपिड ट्रांसपोर्टेशन चाहिए। उपनगरीय रेल की मांग दो दशक से की जा रही है लेकिन अभी तक नहीं मिली। सरकार कार निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोरिडोर क्यों बनवा रही है। यह शहर को बर्बाद कर देगा।
बुनियादी शहरी योजनाओं के जानकार वी.रविचंदर ने कहा कि सरकार को सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। लोग सार्वजनिक परिवहन के उपयोग के साथ ही साइकिल और वाकिंग को भी अपनाएं। एलिवेटेड कोरिडोर परियोजना बहुत दिन नहीं चल पाएगी और विफल हो जाएगी। वर्ष 2031 का मास्टर प्लान ऐसा होना चाहिए जिसमें 70 फीसदी जनता को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करे।