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मस्तिष्क ज्वर अध्ययन करेगा निम्हांस

locationबैंगलोरPublished: Feb 23, 2021 01:24:22 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

– स्वास्थ्य मंत्री ने की मस्तिष्क संक्रमण पर वैश्विक अंतरराष्ट्रीय परियोजना की शुरुआत- विश्व इन्सेफ्लाइटिस दिवस (world Encephalitis Day)

मस्तिष्क ज्वर अध्ययन करेगा निम्हांस

बेंगलूरु. राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (निम्हांस) एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना के तहत मस्तिष्क ज्वर और मस्तिष्क के अन्य संक्रमणों को लेकर अध्ययन करेगा। इसका मकसद इन्सेफ्लाइटिस मरीज के अस्पताल पहुंचने और जांच में लगने वाले समय का आकलन करना है। इन्सेफ्लाइटिस के लक्षण सामने आने के 72 घंटे के भीतर मरीज को उचित उपचार मिले तो उसे बचाया जा सकता है। भारत, यूनाइटेड किंगडम (यूके), ब्राजील और मलावी में इस प्रोजेक्ट के तहत का होगा। अध्ययन के लिए यूके की राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान धन उपलब्ध कराएगी।

स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ के सुधाकर (Dr. K. Sudhakar) ने सोमवार को विश्व इन्सेफ्लाइटिस दिवस पर सोमवार को निम्हांस में आयोजित कार्यक्रम के मस्तिष्क संक्रमण पर इस वैश्विक परियोजना (Brain Infection Global Project) की शुरुआत की।

देश में पहली बार अध्ययन
परियोजना के तहत निम्हांस (The National Institute of Mental Health and Neuro-Sciences) नोडल एजेंसी की तरह काम करेगा। इसके अलावा इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ, कोलार स्थित आर. एल. जालप्पा अस्पताल और एस. एन. आर. सरकारी अस्पताल में भी काम होगा। केंद्र और प्रदेश सरकार ने परियोजना को मंजूरी दी है। देश में इस तरह का यह पहला प्रोजेक्ट है। इसमें इन्सेफ्लाइटिस ही नहीं, मस्तिष्क के हर संक्रमण को समझने की कोशिश होगी। हृदय की तरह मस्तिष्क को भी अहमियत देने की जरूरत है।

60 फीसदी मामले तीन राज्य से
कार्यक्रम से पहले संवाददाता सम्मेलन में निम्हांस के डॉ. वी. रवि ने कहा कि अमरीका (America) स्थित रोग नियंत्रण केंद्र ने एक समझौते के तहत निम्हांस (NIMHANS) से भारत में इन्सेफ्लाइटिस के कारणों का पता लगाने की अपील की थी। केंद्र सरकार के निर्देश पर निम्हांस ने उत्तर प्रदेश, असम और पश्चिम बंगल (Uttar Pradesh, Asam and West Bengal) में काम किया। देश में इन्सेफ्लाइटिस के 60 फीसदी मामले इन्हीं तीन राज्यों में सामने आते हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने इन्सेफ्लाइटिस के साथ बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस (Bacterial meningitis ) की जांच की बात कही। डेंगू, चिकनगुनिया, लेप्टोस्पायरा और स्क्रब टाइफस (Dengue, Chikungunya, Leptospira and scrub typhus) भी इन्सेफ्लाइटिस के कारण हैं। इन सभी का उपचार संभव हैं। बशर्तें मरीज समय पर उपचार पहुंचे। खराब सामाजिक अर्थिक स्थिति और गंदगी भी इस बीमारी का कारण है।

1954 में सामने आया पहला मामला
हर वर्ष विश्व में करीब 5 लाख लोग इस बीमारी के शिकार होते हैं। देश में वर्ष 1954 में पहला मामला आया था। वर्ष 2005 में यह उत्तर भारत में एक महामारी के रूप में सामने आया था।

एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम के मरीज बढ़े
भारत में प्रमुख तौर पर जापानी इन्सेफ्लाइटिस वायरस (Japanese encephalitis Virus) आम है। वर्ष 2006 से टीकाकरण शुरू हुआ। इन्सेफ्लाइटिस के मामले कम हुए लेकिन जापानी इन्सेफ्लाइटिस और एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम (Acute encephalitis syndrome) के मरीज बढ़े।

लाल रोशनी से नहाए भवन
इस वर्ष विश्व इन्सेफ्लाइटिस दिवस की थीम ‘लाइट अ ए लैंड मार्क इन रेड’ (Light a Land Mark in Red) है। निम्हांस के चार भवनों, आरोग्य सौधा और विधान सौधा सहित अन्य प्रमुख भवनों में लाल बत्ती जला रोशन किया गया।

72 घंटे के भीतर उपचार जरूरी
बच्चों में बुखार, बेहोशी, झटके आना, कोमा, गर्दन में अकडऩ, उल्टी, सिर दर्द, व्यावहारिक परिवर्तन, बोलने या सुनने में तकलीफ, याददाश्त की कमी इन्सेफ्लाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। चिकित्सकीय परामर्श में देरी नहीं करें।

250 में से एक मरीज की मौत
देश में ब्रेन संक्रमण (Brain Infection) के हर 250 मरीज में से एक ही मौत हो जाती है। वर्ष 2008 से 2014 के बीच भारत में इन्सेफ्लाइटिस के 44 हजार मामले मिले। इनमें से 6000 मरीजों की मौत हो गई। वर्ष 2016 में अकेले गोरखपुर (Gorakhpur) में कथित तौर पर इन्सेफ्लाइटिस 125 से ज्यादा बच्चों के मौत का कारण बना।

डॉ. सुधाकर ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद इन्सेफ्लाइटिस सहित अन्य बीमारियों से निपटने की जरूरत है। बीते दो वर्षों में 500-600 मामले ही सामने आए हैं। इन्सेफ्लाइटिस के खिलाफ जंग में कर्नाटक अग्रणी रहा है।

निम्हांस के निदेशक डॉ. जी. गुरुराज को विजन ग्रुप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उन्हें आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा संबंधित एक और समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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