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मौजूदा नियमों के तहत होंगे आरटीई कोटे में दाखिले

locationबैंगलोरPublished: Jan 17, 2018 09:55:44 pm

प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा मंत्री तनवीर सेत ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत आवेदकों

Tanveer Sait

बेंगलूरु. प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा मंत्री तनवीर सेत ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत आवेदकों को पहले आसपास के सरकारी या अनुदानित स्कूलों में प्रवेश देने और इन स्कूलों में सीटें नहीं बचने के बाद ही गैर अनुदानित निजी स्कूलों में दाखिले की इजाजत देने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा की प्रधान सचिव डॉ. शालिनी रजनीश ने सरकार को यह प्रस्ताव भेजा था। जिसे नियमों के आधार पर कम-से-कम सत्र २०१८-१९ के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। शिक्षाविद भी इस प्रस्ताव को लेकर बंट गए हैं।
सेत ने कहा, ऐसे किसी प्रस्ताव को मानने से पहले आरटीई अधिनियम २००९ के तहत प्रदेश के नियमों को संशो धित करना होगा। संशो धित प्रस्ताव को मंजूरी के लिए मंत्रि मंडल के सम क्ष रखना होगा। उन्होंने बताया कि इसके बाद राज्य विधान सभा के दोनों सद नों को भी हरी झंडी देनी होगी। प्रक्रिया में समय लगे गा और इस सत्र में यह अ संभव है। उन्होंने कहा कि संशोधन हो ना तो संभ व हैं, लेकिन इससे पहले सभी हित धारकों की राय जानना भी जरूरी है।

एक मत नहीं हैं शिक्षाविद
हालांकि कई शिक्षाविदों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। इनका कहना है कि आरटीई के तहत भी अभिभावकों को यह तय करने का हक होना चाहिए कि वे किस स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। लगभग सभी वार्डों में सरकारी और अनुदानित निजी स्कूल हैं, ऐसे में तो किसी भी विद्यार्थी को गैर अनुदानित निजी स्कूलों में पढऩे का अवसर ही नहीं मिलेगा। जबकि अन्य शिक्षाविदों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है। इनके अनुसार ऐसा करने से सरकारी स्कूलों की हालत सुधरेगी। निजी स्कूलों को आरटीई के नाम पर दिए जाने वाले करोड़ों रुपए का इस्तेमाल सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकेगा।

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