एक मत नहीं हैं शिक्षाविद
हालांकि कई शिक्षाविदों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। इनका कहना है कि आरटीई के तहत भी अभिभावकों को यह तय करने का हक होना चाहिए कि वे किस स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। लगभग सभी वार्डों में सरकारी और अनुदानित निजी स्कूल हैं, ऐसे में तो किसी भी विद्यार्थी को गैर अनुदानित निजी स्कूलों में पढऩे का अवसर ही नहीं मिलेगा। जबकि अन्य शिक्षाविदों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है। इनके अनुसार ऐसा करने से सरकारी स्कूलों की हालत सुधरेगी। निजी स्कूलों को आरटीई के नाम पर दिए जाने वाले करोड़ों रुपए का इस्तेमाल सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकेगा।