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एमसीएफएल की विस्तार परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी

locationबैंगलोरPublished: Aug 30, 2018 12:13:24 am

Submitted by:

Rajendra Vyas

संयंत्र की क्षमता में वृद्धि का रास्ता साफ

 MCFL extension project

एमसीएफएल की विस्तार परियोजना को मिली पर्यावरण मंजूरी

बेहतर मानदंड स्थापित करना चाहती है कंपनी
मेंगलूरु. मेंगलूरु केमिकल एंड फर्टिलाइजर (एमसीएफएल) के उर्वरक संयंत्र को 1547 करोड़ रुपए से विस्तारित सह आधुनिकीकरण करने की परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई है। इस स्वीकृति से अब एमसीएफएल का आधुनिकीकरण करनेे और संयंत्र की क्षमता में वृद्धि करने के लिए विस्तारित करने का काम पूरा हो सकेगा।
कंपनी का प्रस्ताव अमोनिया और यूरिया संयंत्रों में ऊर्जा सुधार के लिए तथा डीएपी-एनपीके संयंत्र और पॉली कार्बोक्साइल ईथर (पीसीई) संयंत्र के विस्तार की है। मेंगलूरु के पानम्बुर स्थित एमसीएफएल ने अपनी इन प्रस्तावित परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति मांगी थी। पर्यावरण स्वीकृति देते हुए कुछ शर्तों को भी शामिल किया है और उनके अनुरूप ही विस्तार एवं आधुनिकीकरण का काम किया जा सकेगा। 192 एकड़ परिसर में स्थित एमसीएफएल के मौजूदा परिसर में ही विस्तार एवं आधुनिकीकरण का काम किया जाएगा।
कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार परियोजना के कार्यान्वित होने के बाद संयंत्र की अमोनिया उत्पादन क्षमता 2,47,500 टन वार्षिक से बढ़कर 3,28,500 टन वार्षिक हो जाएगी। इसी प्रकार उर्वरक की क्षमता 4,29,000 टन से 5,69,400 टन, टीपीए, डीएपी एवं एनपीके की उत्पादन क्षमता 4,01,500 टन से 14,01,500 टन वार्षिक हो जाएगी। इसी प्रकार एसएनएफ और पीसीई की उत्पादन क्षमता 85,000 टन से 103,000 टन वार्षिक हो जाएगी।
कंपनी के अनुसार पॉली कॉरबोक्सल इथर (पीसीई) एक सुपर प्लास्टिसीजर है और मौजूदा समय में देश में आयात किया जाता है। एमसीएफएल की प्रस्तावित परियोजना से देश में पीसीई का उत्पादन बढ़ेगा और यह मेक इन इंडिया पहल के तहत देश को इस क्षेत्र में सहयोग देगा।
चूंकि उर्वरक सब्सिडी सरकार द्वारा ऊर्जा खपत को ध्यान में रखकर भुगतान की जाती है, इसलिए एमसीएफएल की प्रस्तावित परियोजना का उद्देश्य लाभप्रद संचालन जारी रखने के लिए सर्वोत्तम मापदंड उद्योग स्तरों पर ऊर्जा मानदंड लाने का लक्ष्य है।
मौजूदा समय में एमसीएफएल में उर्वरक उत्पादन में ऊर्जा खपत प्रति टन 6.5 गीगा कैलोरी है और कंपनी चाहती है कि वह मौजूदा अमोनिया एवं उर्वरक संयंत्र में ऊर्जा खपत को उन्नत करे, जिससे ऊर्जा खपत का स्तर कम होगा।
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