जरूरी प्राथमिकता नहीं मिलने से इस भाषा का विकास में कमी हुई है। कोंकणी भाषा की रक्षा कर विकसित करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय परिसर में कोंकणी अध्ययन पीठ शुरू किया जा रहा है। कोंकणी किसी एक जाति या समुदाय के लिए सीमित भाषा नहीं है। विभिन्न जाति, समुदायों के लोग इस भाषा में बातचीत करते हैं। ऐसी भाषा का विकास अध्ययन पीठ का उद्देश्य है। कोंकणी अकादमी के अध्यक्ष आरपी नायक ने कहा कि भाषा के विकास के लिए कोंकणी भाषियों को अपना समय आरक्षित करना चाहिए। इस कोंकणी अध्ययन पीठ में पढऩे वाले प्रथम सर्टिफिकेट कोर्स को अकादमी की ओर से अनुदान दिया जाएगा।
डॉ. उदय रायकर ने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम में रवि गांवकर, एमएस बालिगा, संतोष गजानन महाले, डॉ. इसाबेल्लादाल जेवियर, डॉ. चेतनकुमार नायक, कूड्ला आनंद शानबाग, वसंत बांदेकर, अकादमी के सदस्य राम मेस्ता, उल्लास प्रभु, नागेश अण्वेकर, दयानंद पांडुगौड़ा, माधव शेट, संतोष शेणोई समेत कई उपस्थित थे। आशा भंडारकर ने प्रार्थना गीत पेश किया। सरयू प्रभु ने कार्यक्रम का संचालन किया। अमोदिन महाले ने कोंकणी गीत पेश किया।