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हर प्राणी चाहता है कि वह सुखी रहे

locationबैंगलोरPublished: Oct 14, 2019 06:27:58 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा में बोले आचार्य महाश्रमण

हर प्राणी चाहता है कि वह सुखी रहे

हर प्राणी चाहता है कि वह सुखी रहे

बेंगलूरु. आचार्य महाश्रमण ने महाश्रमण समवशरण में धर्मसभा में कहा कि हर प्राणी की आकांक्षा होती है कि वह सुखी रहे और इस दिशा में वह प्रयत्न भी करता है। कभी-कभी सुख प्राप्त करने के लिए सुविधा का उपयोग करता है और उससे एक समय पश्चात दुख प्राप्त होने लग जाता है। क्योंकि सुविधा से क्षणिक सुख मिलता है और फिर वह कष्टकारी हो जाती है। आचार्य ने कुएं और कुंड का पानी का उदाहरण देते हुए कहा कि कुएं का पानी आंतरिक सुख के समान है और कुंड का पानी बाहरी सुखों के समान है। प्रवचन में अणुविभा और सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल डवलपमेंट के संयुक्त राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर आचार्य ने कहा कि विद्वानों के व्यक्तित्व की अपनी महिमा होती है। उनके तथ्य में वजन हो सकता है। आचार्य महाप्रज्ञ के पास कोई डिग्री नहीं थी परंतु उनका ज्ञान का विकास अपने आप में विशिष्ट था। उनकी संस्कृत भाषा और आगम में विशेष पकड़ थी। इसी के सहारे उन्होंने अनेक जैनागमों का संपादन किया। आचार्य महाप्रज्ञ का साहित्य, योग, दर्शन, संस्कृत और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विशेष योगदान रहा है। आचार्य ने कहा कि पर्यावरण की समस्या में असंयम का विशेष योगदान है। जैन श्रावकाचार में बाहर व्रतों में पांचवा व्रत है इच्छा परिमाण। व्यक्ति को अपनी संपत्ति या संसाधनों की एक सीमा तय करनी चाहिए। अनावश्यक संग्रह करने वाले को एक चोर की संज्ञा देते हुए कहा कि एक व्यक्ति की वजह से संपूर्ण राष्ट्र को समस्या आती है। अर्थ संपादन में शुद्धि रखी जाए तो व्यक्ति संयम की दिशा में आगे बढ़ जाता है और जीवन में संतुलन को प्राप्त करता है। अणुव्रत में भी अपरिग्रह की बात कही गई है, जिससे अनेक समस्याओं का समाधान होता है। अगर गरीब व्यक्ति नशे पर संयम करें तो वह भी आर्थिक दृष्टि से ऊपर उठ सकता है। नशे से विमुक्त होकर न केवल स्वयं बल्कि अपने परिवार का भी कल्याण कर सकता है। आचार्य तुलसी की 50 वर्ष पूर्व दक्षिण यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय आचार्य तुलसी ने अणुव्रत के माध्यम से कुरीतियों का निराकरण करने का प्रयास किया था। अनुविभा भी वर्तमान में इस कार्य को कर रही हैं। राष्ट्रीय अधिवेशन में भारतीय संस्कृति में आचार्य महाप्रज्ञ के योगदान के विषय में विष्णु इंटरनेशनल संस्थान के स्वामी हरिप्रसाद, डॉ. सोहनराज गांधी, अर्थशास्त्री सीएस बरला, इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से श्याम प्रसाद, दार्शनिक सीएसआर भट्ट ने आचार्य के समक्ष अपने भाव प्रकट किए एवं आशीर्वाद ग्रहण किया। भट्ट ने आचार्य महाप्रज्ञ को रत्नत्रयीधारी बताते हुए राष्ट्र के लिए एक महान व्यक्तित्व बताया। प्रवचन में आरएसएस प्रचारक मधुसूदन, शांतिलाल गोलछा, पोतराम एवं मंजूनाथ ने भी विचार व्यक्त किए। अशोक बाफना ने आचार्य प्रवर से पर्यावरण संबंधित समस्या के लिए जन जागृति लाने का आग्रह किया। संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।

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