जानकारों का कहना है कि फिलहाल कांग्रेस के पास उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में निलंबित करने का तो अधिकार है लेकिन दल-बदल कानून सिर्फ विधानसभा के भीतर कार्यवाही के दौरान लागू होता है। विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने पर दल-बदल कानून प्रभावी नहीं होगा। ऐसे में कांग्रेस अभी उन्हें निष्कासित करने की भूल नहीं करेगी क्योंकि उनकी सदस्यता बनी रहेगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बजट सत्र के दौरान ये नाराज विधायक क्या कदम उठाते हैं।
इस बीच बैठक में उपस्थित होने वाले 75 विधायकों को लेकर भी कांग्रेस पार्टी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो पाई है। कुछ विधायकों को लेकर अब भी संदेह है कि वे भाजपा के दबाव में टूट सकते हैं। सूत्रों के अनुसार ईगलटन रिसॉर्ट में विधायक दल की दूसरी बैठक के दौरान कुछ विधायकों ने कड़े शब्दों में अपनी नाराजगी जताई। बैठक के दौरान एक शीर्ष नेता के साथ विवाद होने की भी बात सामने आई।
सूत्रों का कहना है कि अगर विधानसभा की कार्यवाही के दौरान ये विधायक पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हैं तब विधानसभा अध्यक्ष से उन्हें छह साल तक के लिए अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की जा सकती है। इससे वे अगले छह साल तक लोकसभा या विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
गौरतलब है कि गोकाक के विधायक रमेश जारकीहोली, अथनी के विधायक महेश कुमटहल्ली, चिंचोली के विधायक उमेश जाधव और बेंगलूरु ग्रामीण के विधायक बी.नागेंद्र कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए। जहां जाधव और नागेंद्र ने अपनी गैरमौजूदगी के बारे में पार्टी को पूर्व सूचना दी वहीं जारकीहोली और कुमटहल्ली ने पूरी तरह पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन किया।