इससे पहले सुबह बजे से अनेक प्राचीन पद्धति के वाद्य यंत्रों की धुन के साथ गर्भ कल्याणक की शुरुआत हुई। सिर पर मुकुट, गले में हार और हाथों में पूजन द्रव्य लेकर कोई संस्कारशाला की ओर बढ़ा तो कोई कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित 330 साधुओं की आहारचर्या में जा रहा था। शाम 5.30 बजे लकड़ी के हाथी पर भव्य जुलूस निकाला गया, जिसमें हाथी पर कुबेर रत्न वृष्टि कर रहे थे।महामस्तकाभिषेक में भाग लेने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो चुका है।
श्रवणबेलगोला जैन मठ के भट्टारक चारूकीर्र्ति स्वामी जी ने बताया कि आने वाले हर श्रावक को समय के अनुसार महामस्तकाभिषेक करने का लाभ मिलेगा। श्रावकों के रहने और भोजन की व्यवस्था भी की गई है। अगर वे अपने आने की सूचना पहले से देते हैं तो उनकी व्यवस्था कर दी जाएगी। कार्यक्रम स्थल पर बनाई गई सत्रह भोजनशालाओं में अन्न दान की बड़ी मुहीम चल रही है, जिसमें उत्तर भारत से खासकर राजस्थान से कई क्विंटल भोजन सामग्री ट्रक के माध्यम से आ रही हैं। त्यागी नगर में अस्थाई गार्डन का निर्माण भी किया गया है।
सार्वजनिक भोजनशालाओं का शुभारंभ भी किया गया और 10 मिनी बसों की व्यवस्था भी सार्वजनिक भोजनशाला तक यात्रियों को पहुंचाने के लिए की गई। भोजनशालाओं के शुभारंभ के समय धर्मस्थल के धर्माधिकारी डॉक्टर वीरेंद्र हेगड़े, कर्नाटक के पशुपालन एवं रेशम विभाग के मंत्री ए. मंजू, विधान परिषद के सदस्य एम.ए. गोपाल स्वामी, श्रवणबेलगोला के विधायक बालकृष्ण भी उपस्थित थे। जैन मठ के भट्टारक चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी ने कहा है कि जो भी श्रद्धालु श्रवणबेलगोला आएगा, वह भोजन किए बिना नहीं जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर अन्य सार्वजनिक भोजनशालाओं की भी व्यवस्था की जाएगी।