script35 फीसदी अज्ञात मरीजों की पहचान बनी पहेली | every year NIMHANS gets more than 200 unidentified patients | Patrika News
बैंगलोर

35 फीसदी अज्ञात मरीजों की पहचान बनी पहेली

– निम्हांस पर सालाना करीब 200 ऐसे मरीजों की जिम्मेदारी

बैंगलोरNov 21, 2020 / 10:15 am

Nikhil Kumar

nimhans.jpg

बेंगलूरु. मानसिक व स्नायु संबंधित बीमारियों से जूझ रहे गरीब व मध्यम वर्ग के मरीजों के लिए वरदान राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (निम्हांस) को इन दिनों अज्ञात मरीजों के रूप में नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। निम्हांस के आंकड़ों के अनुसार निम्हांस में हर वर्ष करीब 200 अज्ञात मरीज (unidentified patients) भर्ती कराए जाते हैं। इनमें से 60-70 मरीजों की पहचान पहेली बन जाती है। लेकिन निम्हांस ऐसे मरीजों के उपचार से लेकर पुनर्वास तक की जिम्मेदारी बखूबी निभाते आ रहा है।

निम्हांस (The National Institute of Mental Health and Neuro-Sciences) में रेजीडेंट चिकित्सा अधिकारी डॉ. शशिधर एच. एन. ने बताया कि मरीजों में दुर्घटना स्थल से लाए गए या फिर भटकते मिले लोग होते हैं। ज्यादातर मामलों में पुलिस इन्हें अस्पताल पहुंचाती है। पुलिस के अनुसार इन लोगों के पास कोई पहचान पत्र नहीं होने के कारण इनकी पहचान नहीं हो पाती है। विभिन्न दुर्घटनाओं के शिकार ज्यादातर मरीज महीनों उपचार के बाद बच जाते हैं लेकिन याददाश्त चली जाती है। स्वस्थ होने के बाद जो मरीज अपना पता -ठिकाना बता पाते हैं उन्हें घर पहुंचा दिया जाता है। याददाश्त जाने के कारण करीब 35 फीसदी मरीजों की पहचान नहीं हो पाती है। निम्हांस के अज्ञात मरीजों की सूची में सालाना 25-30 मरीज जुड़ जाते हैं।

निम्हांस के कर्मचारी की ही पहचान नहीं कर सकी पुलिस
निम्हांस के अन्य अधिकारी के अनुसार ऐसे मरीजों की पहचान सुनिश्चित कर पाना आसान नहीं है। पुलिस भी काफी हद तक इसके लिए जिम्मेदार है। दुर्घटना स्थल या आसपास पीडि़त से जुड़े कोई न कोई दस्तावेज जरूर मिलेंगे। शायद पुलिस इसमें विफल साबित हो रही है। अधिकारी ने एक मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि ड्यूटी के बाद घर जाते समय सड़क दुर्घना में घायल एक व्यक्ति को पुलिस अज्ञात के रूप में निम्हांस लेकर पहुंची। मरीज को देखते ही चिकित्सक और अस्पताल के कर्मचारियों ने मरीज की पहचान निम्हांस के कर्मचारी के रूप में ही की। इसलिए दुर्घटना स्थल पर कोई पहचान पत्र जरूरी रही होगी। लेकिन पुलिस पहचान स्थापित नहीं कर सकी और मरीज को निम्हांस भेज दिया गया। हालांकि, कई ऐसे मामले भी हैं जिसमें मरीज को अपनों से मिलाने में पुलिस और निम्हांस की भूमिका अहम रही है।

कुछ मामलों में परिजन भी जिम्मेदार
निम्हांस में मनोरोग सामाजिक कार्य विभाग की सहायक प्रोफेसर कनमणि टी. आर. ने बताया कि पैसों की तंगी या विभिन्न कारणों से भी परिजन मरीज को अस्पताल छोड़ देते हैं। ऐसे ही एक मामले में सड़क दुर्घटना में घायल एक युवा मरीज के परिजनों ने उसकी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। मरीज की पत्नी पहले ही कैंसर से दम तोड़ चुकी थी।

आधार से संभव पर सहयोग की कमी
नाम नहीं छापने की शर्त पर निम्हांस के एक चिकित्सक ने बताया कि आधार प्रणाली के तहत उपलब्ध बॉयोमेट्रिक डेटा से मरीजों की पहचान संभव है। बशर्ते मरीज ने आधार बनवाई हो। लेकिन भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) मदद करने में पीछे है। अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

दो माह से वेंटिलेटर पर
निम्हांस (NIMHANS) में दो माह से एक 70 वर्षीय महिला वेंटिलेटर पर है। सड़क दुर्घटना में मस्तिष्क में गंभीर चोट के कारण पुलिस ने उसे पांच सितंबर को भर्ती कराया था। अब तक महिला की पहचान नहीं हो सकी है।

Home / Bangalore / 35 फीसदी अज्ञात मरीजों की पहचान बनी पहेली

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो