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स्टेरॉयड का अंधाधुंध इस्तेमाल, बेकाबू मधुमेह भी ब्लैक फंगस का बड़ा कारण

locationबैंगलोरPublished: May 17, 2021 10:22:56 am

Submitted by:

Nikhil Kumar

– पहले उपचार के बाद, अब उपचार के दौरान ही चपेट में- डबल म्यूटेंट सामने आने के बाद बढ़े मामले

स्टेरॉयड का अंधाधुंध इस्तेमाल, बेकाबू मधुमेह भी ब्लैक फंगस का बड़ा कारण

– निखिल कुमार

बेंगलूरु. कोरोना के मरीजों को म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस (कवक संक्रमण) तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इनमें वैसे मरीज ज्यादा हैं जो पहले से ही मधुमेह से के रोगी हैं। कुछ मामलों में कोविड पॉजिटिव होने के दो से तीन दिनों में ही मरीज इसकी चपेट में आए हैं। कोरोना के उपचार में टोसिलिजुमैब, रेमडेसिविर व स्टेरॉयड (Remdesivir, steroids, Tocilizumab) का अंधाधुंध उपयोग, अनियंत्रित मधुमेह और ओरल हाइजीन की कमी कोरोना मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस का प्रमुख कारण माना जा रहा है।

बलगम जांच जरूरी
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रविन्द्र मेहता ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के दो सप्ताह बाद यह संक्रमण परेशान कर सकता है। बलगम (Mucus) जांच में इसका पता लगता है। इसमें मरीज को धुंधला दिखाई देने लगता है और साइनस में संक्रमण हो जाता है। दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में मरीजों के आंखों की रोशनी (loss of eye sight) खोने के मामले भी सामने आए हैं।

इसलिए है खतरनाक
डॉ. सोलंकी आई अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. नरपत सोलंकी (Dr. Narpat Solanki) ने बताया कि अमूमन यह नाक से शुरू होता है और नेजल बोन और आंखों को खराब कर सकता है। एक बार फंगल होने के बाद तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। ऐसे में नाक में सूजन या अधिक दर्द, धुंधला दिखाई देने के बाद तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। यह आंख की पुतलियों या आसपास के क्षेत्र को लकवाग्रस्त कर सकता है। ज्यादा दिनों तक बीमारी का लाइलाज छोडऩे से मस्तिष्क में संक्रमण बढऩे का खतरा रहता है।

बढ़ जाता है रक्तचाप, शुगर का स्तर
एस्टर सीएमआइ अस्पताल के चिकित्सकों ने ब्लैक फंगस के छह मरीजों का उपचार किया है। उनमें से दो को बचाया नहीं जा सका। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. प्रतीक नायक ने बताया कि दोनों को कोविड के कारण भर्ती किया गया था। लेकिन, दो दिनों में ही मधुमेह (शुगर) और रक्तचाप बढ़ गया। नाक से काला पस निकल रहा था। सीटी स्कैन और फिर एमआरआइ रिपोर्ट में साइनस कैवेटी में संक्रमण की बात सामने आई। नाक के द्रव की बायोप्सी में म्यूकोरमाइकोसिस (जिसे पहले जाइगोमाइकोसिस नाम से भी जाना जाता था) की पुष्टि हुई।

म्यूटेंट वायरस का साइनस इम्यूनिटी से भी रिश्ता
चिकित्सकों के अनुसार कोरोना वायरस का बी.1.617 वेरिएंट (डबल म्यूटेंट) इसका कारण हो सकता है। हालांकि, इसका अभी कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है। गहन शोध की जरूरत है। डबल म्यूटेंट (Double Mutant Corona Virus) मामले सामने आने के बाद से म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज बढ़े हैं। राज्य में जेनेटिक सीक्वेंसिंग (आनुवांशिक अनुक्रमण) के नोडल अधिकारी और वायरोलॉजिस्ट डॉ. वी. रवि के अनुसार बी.1.617 वेरिएंट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कर्नाटक में पहले ही डबल म्यूटेंट के 148 मरीज मिल चुके हैं। म्यूटेंट वायरस का साइनस इम्यूनिटी (Sinus immunity) से भी रिश्ता है। साइनस इम्यूनिटी श्वास प्रणाली का हिस्सा है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने से संक्रमण का खतरा
चिकित्सकों के सलाह के बिना कोरोना संक्रमित जो मधुमेह के रोगी स्टेरॉयड का अनावश्यक या अत्याधिक इस्तेमाल करते हैं उनके रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ती है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने से म्यूकोरमाइकोसिस (Black Fungus or Mucormycosis) का खतरा रहता है।
– डॉ. सी. आर. जयंती, डीन, बीएमसीआरआइ

ये भी हो सकता है कारक
– कुछ चिकित्सकों के अनुसार नमी वाले मेडिकल ऑक्सीजन में उपयोग किया गया खराब गुणवत्ता वाला पानी भी इसका जिम्मेदार हो सकता है। सावधानी बरतने की जरूरत है।
– ब्लैक फंगस के लिए सस्ते स्प्रे सैनिटाइजर, धूल व प्रदूषण भी जिम्मेदार हो सकते हैं।
– आंख, गाल में सूजन और नाक में रुकावट अथवा काली सूखी पपड़ी पडऩे के तुरंत बाद एंटीफंगल थेरेपी शुरू कर देनी चाहिए।
– ज्यादा दिनों तक बीमारी को लाइलाज छोडऩे से मस्तिष्क में संक्रमण बढऩे का खतरा रहता है।
– ज्यादातर ये फंगल संक्रमण फेफड़े और त्वचा से शुरू होते हैं। चेहरे के एक तरफ सूजन, सिर दर्द, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपरी भाग में तकलीफ के साथ बुखार का होना इसके लक्षण हैं।
– ब्लैक फंगस का उपचार में एंटी फंगल इंजेक्शन व दवाइयों का इस्तेमाल होता है।
– ब्लैक फंगस के लक्षण सबसे पहले चेहरे पर ही दिखाई देते हैं। आंखों व नाक के पास काले धब्बे शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

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