इसरो अध्यक्ष के.शिवन ने ‘पत्रिका’ के साथ बातचीत में कहा कि ‘हमें यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं है कि चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाए। मिशन के दो पहलू थे जिसमें से एक सॉफ्ट लैङ्क्षडग था और हमें सफलता नहीं मिली। लेकिन, आर्बिटर अब भी चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। उसके आठ अत्याधुनिक उपकरणों से हमें बड़े पैमाने पर आंकड़े मिल रहे हैं। ये आंकड़े अत्यंत उच्च कोटि के हैं और भविष्य में इन आंकड़ों के आधार पर कई महत्वपूर्ण शोध पत्र प्रकाशित होंगे।’ उन्होंने बताया कि ये आंकड़े इसी वर्ष मार्च 2020 में जारी किए जाने वाले थे लेकिन, कोरोना महामारी के कारण अब वैश्विक समुदाय के लिए इसे अक्टूबर 2020 से जारी किया जाएगा। ये आंकड़े शोधरत वैज्ञानिकों के लिए उपलब्ध होंगे और इससे चंद्रमा के कई रहस्यों से पर्दा उठेगा। इन शोध परिणामों से भविष्य के मिशनों को भी दिशा मिलेगी। गौरतलब है कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से जीएसएलवी मार्क-3 एम-1 से किया गया था और इसने 20 अगस्त 2019 को चांद की कक्षा में प्रवेश किया था।
इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 के आर्बिटर व्यापक आंकड़े प्राप्त हुए हैं। ये आंकड़े चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर बर्फ अथवा पानी की मौजूदगी के प्रमाण से संबंधित हैं। इनके अलावा चंद्रमा पर खनिजों की मौजूदगी का प्रमाण देने वाले एक्स-रे आधारित इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी के आंकड़े और चंद्रमा के वातावरण में मध्य से उच्च आक्षांश पर आर्गन-40 की मौजूदगी से संबंधित है। चंद्रमा के आंतरिक वातावरण में संघनन योग्य यह आर्गन-40 गैस पोटैशियम-40 के रेडियोधर्मी विघटन से उत्पन्न होती है।