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मुसीबत बनती नकली और घटिया क्वालिटी की दवाएं

locationबैंगलोरPublished: Apr 12, 2021 06:48:16 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

सरकारी तंत्र की सुस्ती से सख्त कानून का भी नहीं हो रहा असर

मुसीबत बनती नकली और घटिया क्वालिटी की दवाएं

मुसीबत बनती नकली और घटिया क्वालिटी की दवाएं

मनोज कुमार सिंह
कोलकाता. सबसे अधिक मात्रा में दवाइयां बनाने में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। देश में सबसे तेज गति से बढ़ रहे इस कारोबार के 55 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के साथ ही नकली और निम्न कोटि की दवाओं का अवैध कारोबार भी बढ़ रहा है और लोगों कीजान पर खतरा बढ़ता जा रहा है।
पिछले वर्ष एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट में देश में बनने वाली कुल दवाओं का 25 प्रतिशत नकली और खराब गुणवत्ता वाली दवाएं बनने और बिकने का खुलासा किया था, जो विश्व की कुल नकली दवाओं का 35 प्रतिशत है।
मई 2019 यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) ने अपनी विशेष रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय बाजार में बिकने वाली कुल दवाओं का 20 प्रतिशत नकली हैं, जिसे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने खारिज कर दिया।
लेकिन जुलाई 2020 में गुजरात के नकली इंजेक्शन के रैकेट का पर्दाफाश जैसी घटनाएं अब तक इस अवैध और घातक कारोबार के जारी रहने का सबूत पेश कर रही हैं।

40 साल से स्वास्थ्य व अर्थव्यवस्था पर भारी- नकली दवाओं का सार्वभौमिक रूप से अनुमोदित परिभाषा नहीं है।
फिर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार इसे विश्व स्तर पर अलग-अलग तरीकों से संदर्भित किया जाता है और अक्सर इसमें असाध्य, बिना लाइसेंस की दवाएं बनाने, नकली पैक, चोरी और उप-मानक चिकित्सा उत्पादों को शामिल किया जाता है।
ऐसी दवाएं 1980 के दशक से लोगों के स्वास्थ्य और देश की अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव के साथ दुनिया भर में एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं।

निगरानी की कमी से बढ़ता कारोबार
18 साल पहले भारत में नकली दवाओं के बढ़ते कारोबार से लोगों की जान का खतरा बढऩे पर रोक लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने वर्ष 2003 में कानून को और सख्त कर दिया।
सरकार ने नकली दवाएं बेचने और बनाने वालों को फांसी देने का प्रावधान शामिल कर दिया, लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि सरकार की ओर से निगरानी और जांच-पड़ताल की कमी के कारण यह धंधा परवान चढ़ रहा है।
इन पर निगरानी रखने वाले संस्थान हमेशा दवाओं की गुणवत्ता की जांच और नकली दवाओं के कारोबारियों की नाक में नकेल नहीं कस रहे हैं।

हर बीमारी के लिए नकली दवाएं
चिंताजनक तथ्य यह है कि हर बीमारी के लिए नकली दवाएं उपलब्ध हैं। कैंसर से गर्भनिरोधक और एंटीबायोटिक्स से लेकर टीकों तक नकली दवा की कमी नहीं है।
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान और पंजाब समेत कई राज्यों में इस अवैध कारोबार का नेटवर्क चल रहा है।

उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र में जो दवाएं बेची जाती हैं, उनमें से 10 से 20 फीसदी तक नकली हैं। दिल्ली और गोआ में इनकी मात्रा 5 फीसदी से कम हो सकती है।
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