
750 किलो वजन का स्वर्ण हौदा उठाने वाले और दशहरा के दौरान आकर्षण का केन्द्र बने हाथी अभिमन्यु के नेतृत्व में सभी हाथियों को एक कतार में खड़ा किया गया। पुजारी प्रहलाद ने भजन गाए और हाथियों के लिए मंगलकामना के साथ मंगल आरती की। इस मौके पर महल बोर्ड के उपनिदेशक टी.एस.सुब्रमण्य, जिला वन अधिकारी कमला करिकालन, महापौर सुनंदा पालनेत्रा, पार्षद रमेश,महल बोर्ड के अभियंता विनोद, गंगाधर स्वामी, राजेश, समाजसेवी कांतिलाल पटवारी, गौतम सालेचा आदि उपस्थित थे। मालूम हो कि इस साल जम्बो सवारी में केवल 8 हाथियों ने हिस्सा लिया था।

अलग-अलग शिविरों की ओर हुई रवानगी
अभिमन्यु जहां मथिगोडु शिविर के लिए रवाना हुआ वहीं हाथी चैत्र और लक्ष्मी को रामपुरा शिविर भेजा गया जबकि धनंजय, कावेरी और विक्रम दुबारे हाथी शिविर की ओर भेजे गए। वहीं जुलूस में पहली बार शामिल हुए 34 वर्षीय हाथी अश्वत्थामा को डोड्डा हरावे हाथी शिविर में भेजा गया। डीसीएफ करिकालन ने उत्सव के सफल और सुचारू संचालन के लिए महावतों और उनके सहायकों को नकद राशि सौंपी।

आखें हुईं नम
करिकालन ने कहा कि प्रत्येक महावत और उनके सहायक को उनके कार्यों की सराहना के रूप में 10,000 रुपए मिले। पिछले 25 वर्षों से हाथियों के लिए विशेष पूजा करने वाले पुजारी प्रहलाद ने कहा कि विदाई समारोह में आंख नम हुए बिना नहीं रहती। करिकालन कहते हैं कि एक बार हाथी अपने-अपने शिविरों में वापस पहुंच जाते हैं, तो वे कुछ दिनों के लिए आराम करते हैं और अन्य वन संबंधी कर्तव्यों पर वापस आ जाते हैं। मुख्य रूप से जंगल में गश्त करते हैं। अभिमन्यु और विक्रम जैसे हाथियों का इस्तेमाल तलाशी अभियान या अन्य लुटेरे जंगली हाथियों को पकडऩे के लिए किया जाता है, जबकि बाकी वन विभाग द्वारा आयोजित नियमित गश्त अभ्यास में भाग लेते हैं। सूरु दशहरा उत्सव को छोड़कर उन्हें किसी अन्य औपचारिक आयोजन में शामिल नहीं होने दिया जाता।