अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री तनवीर सेत ने कहा कि इस योजना की राशि एक लाख रुपए करने की सिफारिश की गई है। हालांकि अभी मुख्यमंत्री से इस विषय में कोई आश्वासन नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि अभी तक इस योजना के तहत ६६ हजार आवेदन निपटाए गए हैं और करीब १४ हजार अर्जियां लंबित हैं। इस योजना से मुस्लिम, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय लाभान्वित हो रहे हैं।
शादियों का फर्जीवाड़ा भी
इस योजना का गलत इस्तेमाल भी हो रहा है। जिन युवतियों की शादी हो चुकी है। उनके अभिभावक रुपयों के लालच में दोबारा शादी के कार्ड प्रिन्ट करवा कर आवेदन देते हैं।कई जाली दस्तावेज भी तैयार किए जा रहे हैं। पड़ोसी राज्यों के लोग यहां आकर प्रदेश के नागरिक बताकर झूठे हलफनामे और बोगस दस्तावेत बनवा रहे हैं। जाली दस्तावेज बनाने के लिए गिरोह सक्रिय हैं। जाली दस्तावेज तैयार करने के लिए बड़ी राशि ली जाने की शिकायत मिली है। इस तरह का धंधा करने वालों को गिरफ्तार करने के लिए विशेष दल गठित किया गया है।
अब सरकारी स्कूलों में भी एलकेजी, यूकेजी
सरकार ने छात्रों और उनके अभिभावकों को सरकारी स्कूलों की तरफ आकर्षित करने के लिए अगले शैक्षणिक वर्ष से सरकारी प्राथमिक स्कूलों में एलकेजी और यूकेजी (प्री प्राथमिक कक्षाएं) आरंभ करने का फैसला लिया है, अगले माह पेश होने वाले बजट में इसकी घोषणा होगी।
प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री तनवीर सेत ने बजट पूर्व प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा में सुधार लाने के उद्देश्य से सरकार को कुछ सिफारिशें पेश की हैं। जिसके तहत एलकेजी और यूकेजी आरंभ करने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री ने भी इस सिफारिश को स्वीकार किया है। बताया जाता है कि पहले चरण में पांच हजार सरकारी प्राथमिक स्कूलों में एलकेजी और यूकेजी कक्षाएं आरंभ की जाएंगी। इस उद्देश्य से ही महिला एवं बाल विकास विभाग के जरिए चलाए जा रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों को अगले शैक्षणिक वर्ष से सार्वजनिक शिक्षा विभाग में विलय किया जाएगा। इसके लिए नए शिक्षकों की नियुक्ति होगी।
अब आंगनबाड़ी केन्द्रों को समग्र शिशु विकास योजना (आईसीडीपी) का कार्य और गतिविधियां होंगी। आंगनबाड़ी केन्द्रों के सहायक कर्मचारियों को शिक्षा और आईसीडीपी के काम भी जिम्मेदारी दी जाएगी। प्री प्राथमिक स्कूलों में भी बच्चों को दोपहर के समय भोजन, पाठ्य पुस्तकें, बैग, गणवेश, जूते और स्वेटर दिए जाएंगे।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी स्कूलों में एलकेजी से शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हुई तो छात्र वहां दसवीं कक्षा तक उसी स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों की सरकारी स्कूलों में आने की संभावना बहुत कम थी।