इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रमेश कुमार ने पूछा कि क्या विरोध प्रदर्शन में ‘विदेशी हाथ’ भी है। इसपर बोम्मई ने कहा कि 1972 से 75 के दौरान इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हर विरोध प्रदर्शन के लिए इन्हीं विदेशी ताकतों को दोषी ठहराया गया था। भले ही वे किसान था या मजदूर। लेकिन, वे यह नहीं कह रहे हैं कि इसमें विदेशी हाथ है। क्योंकि, विदेशी एजेंट पहले से ही प्रशासन के करीब रहे हैं। विदेशी एजेंट और कमीशन एजेंट जो एपीएमसी को नियंत्रित करना चाहते हैं, वे इस विरोध को प्रायोजित कर रहे हैं।
वाजपेयी के ‘अपराधिक लूट’ शब्द पर चले शब्द बाण
पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर सिद्धरामय्या के ‘आपराधिक लूट’ शब्द के जवाब में बोम्मई ने कहा कि क्या अतीत में जिन सरकारों ने भी कीमतें बढ़ाई वो आपराधिक लूट में शामिल रही हैं? इसपर सिद्धरामय्या ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस बयान के जरिए यह स्वीकार किया है कि आपराधिक लूट हुई है। इस शब्द का इस्तेमाल अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था और उन्होंने यह शब्द उन्हीं से लिया है। जनसंघ में रहते हुए वाजपेयी ने 1973 में जब ईंधन की कीमतों में 7 पैसे की वृद्धि हुई तो इस शब्द का उपयोग किया था। तब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं।
बोम्मई ने कहा कि महंगाई पर जवाब सुनकर उन्हें ‘दर्द’ क्यों हो रहा है? इसपर सिद्धरामय्या ने कहा ‘मुझे दर्द क्यों होना चाहिए? नरेंद्र मोदी और आपको दर्द होना चाहिए क्योंकि आप लोग आपराधिक लूट में लिप्त हैं। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच फिर गर्मागर्म बहस शुरू हो गई। कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए बोम्मई ने कहा, ‘हमारे समय में पेट्रोल की कीमत में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि कांग्रेस या यूपीए के समय में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यदि आप ‘आपराधिक लूट’ शब्द से परेशान हैं, तो इसे ‘कांग्रेस लूट’ कह सकते हैं। कोई समस्या नहीं है।’ इससे नाराज कांग्रेस सदस्यों और सिद्धरामय्या ने ‘भाजपा लूट’, ‘भाजपा आपराधिक लूट में लिप्त है’ और ‘नरेंद्र मोदी सरकार देश को लूट रही है’ जैसे नारे लगाए।