एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर.माधवन ने इस उपलब्धि को मील का पत्थर बताया है। उन्होंने कहा कि देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी हेलीकॉप्टर पर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। सेना के पास अभी तक जितने भी हेलीकॉप्टर हैं उनमें हवा से हवा में मिसाइल दागने की क्षमता नहीं है। इस परीक्षण के साथ ही एलसीएच ने सभी हथियारों के इंटीग्रेशन का परीक्षण सफलता पूर्वक पूरा कर लिया और ऑपरेशनल जरूरतों के लिए तैयार हो गया है।
माधवन ने कहा कि इस हेलीकॉप्टर पर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के अलावा 20 एमएम टर्रेट गन (घूमती हुई तोपें) और 70 एमएम रॉकेट्स भी इंटीग्रेट किए जा सकते हैं। इसका परीक्षण पहले ही पूरा किया जा चुका है। एलसीएच विश्व का इकलौता ऐसा हेलीकॉप्टर है जो सियाचिन ग्लेशियर की ऊंचाई पर भी परिचालित किया जा सकता है।
एचएएल की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार गुरुवार को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज में इस हेलीकॉप्टर का परीक्षण किया गया। भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलट विंग कमांडर सुभाष पी.जॉन (सेनि) और गु्रप कैप्टन राजीव दुबे के साथ एचएएल के उड़ान परीक्षण इंजीनियर कर्नल रंजीत चितले (सेनि) ने एलसीएच में उड़ान भरी और हवाई लक्ष्य पर सीधा प्रहार कर ध्वस्त कर दिया। यह परीक्षण पूरी तरह त्रुटिरहित रहा। इस हेलीकॉप्टर को वायुसेना की जरूरतों के हिसाब से एचएएल के रोटरी विंग अनुसंधान एवं डिजाइन केंद्र (आरडबलूआरडीसी) ने विकसित किया है।
इस हेलीकॉप्टर में पायलटों के हेलमेट के ऊपर ऐसी प्रणाली है कि वे दुश्मनों के ठिकाने जमीन पर या हवा में इंफ्रारेड में देखकर पहचान सकते हैं और घातक प्रहार कर उसे ध्वस्त कर सकते हैं। हवा में उड़ान भरते दुश्मनों के मानव रहित विमानों (ड्रोन), माइक्रोलाइट एयरक्राफ्ट आदि को ये मिसाइल से नष्ट कर देंगे।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने वायुसेना के लिए 10 और थलसेना के लिए 5 एलसीएच खरीदने की मंजूरी दी है।
लड़ाकू हेलीकॉप्टर की खूबियां
साढ़े पांच टन वजन
दो शक्तिशाली इंजन
एडवांस लाइट फेसिलिटी
दिन और रात के साथ-साथ कम रोशनी में भी लक्ष्य पर निशाना साधने में सक्षम
रेडार, लेजर मिसाइल चेतावनी प्रणाली से लैस करने का प्लेटफार्म