सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना को अब आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीइए) से मंजूरी लेनी होगी, जिसके अध्यक्ष प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी हैं। राज्य और केंद्र सरकार 148.17 किलोमीटर की परियोजना की कुल लागत का 40 प्रतिशत (20 प्रतिशत प्रत्येक) साझा करेंगे, जबकि शेष धन संस्थागत ऋण के माध्यम से जुटाया जाएगा।
भाजपा सांसद पी.सी. मोहन ने मंजूरी मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि परियोजना पर काम शुरू हो चुका है और राज्य सरकार जमीन का सर्वेक्षण करवा रही है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने इस सप्ताह के शुरू में मंजूरी दी थी। अब सीसीइए से मंजूरी और मिलने का इंतजार है। संसद ने कहा कि इस परियोजना को पूरा होने में लगभग पांच साल लगेंगे और उन्हें विश्वास है कि यह समय पर पूरी हो जाएगी।
इसके साथ ही अब बेंगलूरु के भी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और सिकंदराबाद की तरह उपनगरीय रेल नेटवर्क वाला शहर बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया। कुछ अध्ययनों के अनुसार, बेंगलूरु दुनिया के सबसे खराब यातायात वाले शहरों की वैश्विक सूची में सबसे ऊपर है।
बेंगलूरु की विभिन्न संस्थाएं लंबे समय से इस परियोजना के लिए मांग कर रही हैं। कई नागरिक अभियानों के बाद पिछले साल रेलवे बोर्ड ने इस परियोजना को मंजूरी दी थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते समय इस परियोजना की औपचारिक घोषणा की थी।
बेंगलूरु उपनगरीय रेल परियोजना में चार गलियारे और 53 उपनगरीय स्टेशनों का प्रस्ताव है। इनमें केएसआर बेंगलूरु सिटी से देवनहल्ली, चिक्काबानावर से यशवंतपुर, बैय्यप्पनहल्ली, हीलालिगे से येलहंका, राजानकुंठे और केंगेरी से केएसआर बेंगलूरु, वाइटफील्ड शामिल हैं।