मंदिर के उप कार्यकारी अधिकारी हरेंद्रनाथ ने बताया कि दोपहर बाद बूंदी पोटू के बाहर एक अतिरिक्त कमरे में बूंदी बनाते वक्त उस समय आग लगी जब एक कामगार बड़े कड़ाह में बर्तन से तेल उड़ेल रहा था। तभी बर्तन उसके हाथ से छूट गया और तेल स्टोव पर गिरने से लपटें भड़क गईं। चिमनी के जरिये लपटें ऊपर पहुंच गईं और चारों ओर काला धुआं फैलने लगा। उन्होंने कहा कि संयोग से कोई नुकसान नहीं हुआ क्योंकि कामगारों ने तत्काल आग पर काबू पा लिया था।
इस घटना के कारण करीब 18 चूल्हे बंद हो गए लेकिन महज आधे घंटे के अंदर ही पूरे क्षेत्र की सफाई कर उन्हें दोबारा चालू कर दिया गया। इसके फौरन बाद बूंदी बनाने का काम भी दोबारा शुरू हो गया। हरेंद्रनाथ ने बताया कि यह पोटू कमरा मंदिर परिसर से बाहर है और आग के कारण किसी को कोई चोट नहीं आई है ना ही किसी प्रकार की संपत्ति का नुकसान हुआ है।
टीटीडी के मुख्य सतर्कता एवं सुरक्षा अधिकारी गोपीनाथ जट्टी ने कहा कि अतिरिक्त पोटू और उसके आस पास का इलाका बेहद भीड़भाड़ वाला रहता है और वहां दिन रात तेजी काम चलता है। इसलिए ऐसी छोटी मोटी घटना होने का अंदेशा हमेशा बना रहता है। उन्होंने कहा कि इससे पिनटने के लिए मंदिर परिसर और पूरे तिरुमला में पर्याप्त इंतजाम हैं। इसीलिए आग को जल्दी काबू कर बुझा दिया गया और कोई नुकसान नहीं हुआ।