इसरो के हासन स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (एमसीएफ) से सुबह 8 .34 बजे उपग्रह को कक्षा में उठाने की प्रक्रिया शुरू हुई जो लगगभग सुबह 9.56 बजे तक चली। लैम फायरिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उपग्रह 76 42 किमी (पेरिगी) गुणा 35,745 किमी (एपोगी) वाली कक्षा में पहुंच गया।
इसके साथ ही उपग्रह का झुकाव अब 21.46 डिग्री से 8 .9 डिग्र्री हो गया है। नई कक्षा में जीसैट-29 धरती का एक चक्कर 13 घंटे में लगा रहा है। इससे पहले 14 नवम्बर को जीएसएलवी मार्क-3 ने जीसैट-29 का सटीक प्रक्षेपण करते हुए उसे 18 9 किमी (पेरिगी) गुणा 35,8 97 किमी (एपोगी) वाली कक्षा में स्थापित किया था।
उपग्रह को ऑपरेशनल करने के लिए 55 डिग्री पूर्वी देशांतर में 36 हजार किमी गुणा 36 हजार किमी (लगभग) वाली भू-स्थैतिक कक्षा में स्थापित करना होगा। इसके लिए दो और मैनुवर किए जाएंगे। इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक दूसरा मैनुवर शुक्रवार की सुबह (लगभग 10.30 बजे) हो सकता है। हालांकि, दूसरी मैनुवर की योजना अभी इसरो वैज्ञानिकों ने अंतिम रूप से तैयार नहीं की थी।
दरअसल, उपग्रहों को ऑपरेशनल कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण होती है। इसी वर्ष जीसैट-6 ए को प्रक्षेपण के बाद ऑपरेशनल कक्षा में स्थापित करने के लिए किए गए दूसरे मैनुवर के बाद यान से संपर्क टूट गया था।
जीसैट-6 ए को जीएसएलवी मार्क-2 से सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया था लेकिन यान से संपर्क टूट जाने के कारण मिशन नाकाम हो गया था।