scriptपहली बार पिता-पुत्री एक साथ सदन में | First time Father and daughter together in the House | Patrika News

पहली बार पिता-पुत्री एक साथ सदन में

locationबैंगलोरPublished: Jun 14, 2018 09:50:22 pm

राज्य के संसदीय इतिहास में यह पहला मौका है, जब पिता और पुत्री एक ही पार्टी से साथ साथ-विधानसभा के सदस्य होंगे।

पहली बार पिता-पुत्री एक साथ सदन में

पहली बार पिता-पुत्री एक साथ सदन में

बेंगलूरु. राज्य के संसदीय इतिहास में यह पहला मौका है, जब पिता और पुत्री एक ही पार्टी से साथ साथ-विधानसभा के सदस्य होंगे। हालांकि, विधानसभा में पिता-पुत्र और पति-पत्नी पहले भी एक साथ सदस्य रह चुके हैं। रेड्डी के अलावा कांग्रेस के ही पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या और उनके पुत्र डॉ यतींद्र तथा विधानसभा के सदस्य हैं।

भाजपा को भारी पड़ी पार्षदों की नाराजगी
भाजपा ने विजय कुमार के भाई प्रह्लाद को टिकट देकर सहानुभूति का लाभ उठाने की कोशिश की थी लेकिन आंतरिक कलह और पार्षदों की नाराजगी के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। भाजपा सुरक्षित गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में भाजपा के छह पार्षद हैं और विजय कुमार के निधन के बाद इन पार्षदों को उम्मीद थी कि उनमें से किसी एक वरिष्ठ को पार्टी टिकट देगी लेकिन भाजपा ने पूर्व महापौर एस. के. नटराज, पार्षद एन. नागराज, सी.के. राममूर्ति की दावेदारी को दरकिनार कर प्रह्लाद को टिकट दे दिया था।

टिकट नहीं मिलने से नाराज पार्षदों ने प्रचार में ज्यादा रुचि नहीं ली। आंतरिक कलह से जूझ रही भाजपा की मुश्किलें जद-एस ने अपने उम्मीदवार कालेगौड़ा को हटाकर बढ़ा दी। जद-एस उम्मीदवार के मैदान में नहीं होने के कारण कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर हुई और भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा। बुधवार को सुबह मतगणना शुरू होने पर पहले ही चक्र में 427 मतों से बढ़त हासिल करने वाली सौम्याने हर चक्र में बढ़त कायम रखी और अंतत: जीत हासिल कर ली। विश£ेषकों का कहना है कि कांग्रेस और जद-एस के एकजुट होने के कारण सौम्या की राह आसान हुई। साथ ही सौम्या को अच्छी संख्या में युवाओं के वोट भी मिले।

बेंगलूरु : भाजपा के गढ़ में कांग्रेस की सेंध
मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग की अधिक आबादी के कारण बेंगलूरु शहर को भाजपा का मजबूत सियासी गढ़ माना जाता था लेकिन जयनगर सीट पर जीत के साथ ही कांग्रेस ने भाजपा के इस किले में भी सेंध लगा दी। कांग्रेस का अब शहर की २८ विधानसभा सीटों में १५ पर कब्जा है जबकि कांग्रेस और जद-एस गठबंधन के पास १७ सीटें हैं। भाजपा के पास ११ सीटें हैं जबकि जद-एस के पास २ सीटें हैं।

२००८ में भाजपा के पास शहर की १४ और २०१३ में १३ सीटें थी। विश£ेषकों का कहना है कि बेंगलूरु में कांग्रेस की बढ़त के पीछे पार्टी से ज्यादा नेताओं के चेहरे का कमाल है। बैरती बंधुओं-सुरेश व बसवराज के अलावा दिनेश गुंडूराव, कृष्णा बैरेगौड़ा, जमीर अहमद जैसे नेताओं अपने बल पर चुनाव जीतने में सफल रहे। कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस के लिए उम्मीदवारों का चयन फायदेमंद रहा तो कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस को इसके कारण नुकसान भी उठाना पड़ा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री डॉ जी परमेश्वर ने भी सौम्या की जीत पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि शहर में अब भाजपा पर कांग्रेस को बढ़त हासिल है।

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