दरअसल, इस जियोलाइट खनिज का उपयोग स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) ‘तेजस’ के कॉकपिट में ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (एमओपी) में किया जाएगा। देशभर में ऐसे 500 प्लांट दूर-दराज के गांवों और दुर्गम पहाड़ी इलाकों में स्थापित किए जा रहे हैं जहां आवागमन की सुविधा अच्छी नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर सेे देश में चिकित्सा सुविधाएं चरमरा गई हैं और ऑक्सीजन की कमी से कई मरीजों की असमय मौत हो रही है।
बेंगलूरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (बीआइएएल) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि रोम से जियोलाइट की पहली खेप आ गई है। एयर इंडिया के दो कार्गो विमान 34 हजार 200 किलोग्राम जियोलाइट लेकर रविवार सुबह बेंगलूरु हवाई अड्डे पर उतरे। विदेशों से जियोलाइट की कई खेप आने वाली है जिसका उपयोग ऑक्सीजन के उत्पादन में होगा। इससे देश में ऑक्सीजन की कमी पूरी होगी।